जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान में पुलिस को बड़ी सफलता मिली

Chhattisgarh Crimesजिले में नक्सल उन्मूलन अभियान में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। धमतरी-नुआपाड़ा-मैनपुर डिवीजन कमेटी के प्रमुख सत्यम गावड़े के एनकाउंटर के 7 महीने बाद उसकी पत्नी जानसी उर्फ वछेला मटामी ने सरेंडर कर दिया। वह खुद भी नगरी एरिया कमेटी की सचिव थी। उस पर 8 लाख रुपए का इनाम था।

जानसी के सरेंडर के बाद लगातार बिखर रहे नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है। सोमवार को एसपी निखिल राखेचा ने जानसी के सरेंडर होने की जानकारी दी। राज्य सरकार की आत्म समर्पण नीति के तहत 25 हजार रुपए भी दिए। मीडिया से बातचीत में जानसी ने बताया कि नक्सल संगठन में वह 20 सालों तक सक्रिय रही।

2011 में डीवीसीएम सत्यम गावड़े से उसकी शादी हो गई। बाद में वह पूरी डिवीजन कमेटी का प्रमुख बना। 2014 में जानसी को नगरी में एसीएम बनाकर भेजा गया। यहां डिप्टी कमांडर, कमांडर के बाद नगरी एरिया कमेटी सचिव तक बनी। उसने बताया कि इस साल जनवरी में पति की मौत के बाद अंदर से टूट गई थी। जंगल में काफी परेशान थी।

बरसात में दिक्कत होती, तो गर्मी में पानी के लिए तरसना पड़ता था। कई दिन भूखा रहना पड़ता था। मन में आता था कि इतना परेशान होने से अच्छा है कि घर लौट जाए। इस बीच सरकार की आत्म समर्पण नीति की जानकारी मिली। इससे प्रेरित होकर उसने आत्म समर्पण करने का इरादा किया। अब वह अच्छा महसूस कर रही है।

उसने बाकी नक्सलियों से भी हथियार छोड़कर मुख्य धारा में लौटने की अपील की। बता दें कि गरियाबंद जिले में अब तक आत्मसमर्पण नीति के तहत आयतु, संजय, मल्लेश, मुरली, टिकेश, प्रमीला, लक्ष्मी, मैना, क्रांति, राजीव, ललिता, दिलीप, दीपक, मंजुला, सुनीता, कैलाश, रनिता, सुजीता, राजेन्द्र आत्मसमर्पण कर चुके थे।

दंडकारण्य से भेजे जाते हैं हथियार, इलाके में अब 30-35 लड़ाके ही बच गए हैं

मूलत: महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में कोंदावाही गांव की रहने वाली जानसी ने भास्कर से बातचीत में कहा कि नक्सल संगठन अब कमजोर हो गया है। इलाके में अब महज 30-35 नक्सली ही बचे है। बड़े लीडर या तो मारे गए या फिर भाग निकले। इलाके में कोई बड़ा नक्सली लीडर नहीं बचा। लगातार सर्चिंग से दबाव बढ़ा है।

ऐसे में आत्मसमर्पण अब जरूरी हो गया है। जानसी ने बताया कि जनवरी में चलपति, सत्यम समेत 16 नक्सलियों के मारे जाने के बाद से ही स्थितियां बदलने लगी थीं। हथियारों के बारे में जानसी ने बताया कि सारे हथियार दंडकारण्य से भेजे जाते है। अधिकांश पुलिस और सुरक्षाबलों से लूटकर इकट्ठा किए गए होते हैं। ट्रेनिंग घने जंगलों के बीच होती है।

पैसों के इंतजाम के बारे में बताया कि इलाके में तेंदूपत्ता संग्राहकों से लेवी वसूली बड़ा माध्यम है। और भी तरीकों से छिट-पुट वसूली होती है। पैसा बड़े लीडरों समेत सीसी मेंबरों तक जाता है। उनकी ओर से एरिया कमेटी को सीमित पैसे दिए जाते है। इसे भी प्रस्ताव बनाकर खर्च करना होता है।

जल, जंगल की रक्षाके लिए बनी नक्सली जानसी ने बताया कि 20 साल पहले जल, जंगल, जमीन और महिलाओं अधिकारों की रक्षा के लिए नक्सली बनी। गांव में नक्सलियों का आना-जाना था। वे दिन-दहाड़े आते थे। वहीं संगठन के बातों से प्रभावित हुई। 2005 ने रनीता उसके संगठन में जुड़ने का माध्यम बनी।

तब से अब तक संगठन में जनमिलिशिया सदस्य, एसीएम, डिप्टी कमांडर, कमांडर से लेकर अब नगरी एरिया कमेटी की सचिव के रूप में सक्रिय रही। इस दौरान ग्रामीणों को संगठन से जोड़ने और ठेकेदारों से अवैध वसूली जैसे कामों को अंजाम दिया। रिसगांव समेत कई बड़ी वारदातों में भी शामिल रही।

इधर, पुलिस सूत्रों के मुताबिक एक साल पहले पोलित ब्यूरो और सीसी मेंबर समेत माओवादी संगठन के 16 बड़े नेता था। जिसमें 4 पोलित ब्यूरो ओर 12 सीसी मेंबर थे। एक साल में 3 सीसी मेंबर सत्यम, बसवराजू और बाला कृष्ण मारे गए। एक ने सुदारकर ने तेलंगाना में सरेंडर कर दिया।