छत्तीसगढ़ सरकार ने नियमितीकरण समेत 10 मांगों लेकर हड़ताल पर बैठे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) संविदा कर्मचारियों को अल्टीमेटम दिया

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ सरकार ने नियमितीकरण समेत 10 मांगों लेकर हड़ताल पर बैठे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) संविदा कर्मचारियों को अल्टीमेटम दिया है। उनसे कहा है कि वे आज यानी मंगलवार तक काम पर लौट आएं। अगर कर्मचारी वापस नहीं लौटे तो 16,000 सीटें शून्य मान ली जाएगी। कर्मचारियों को नोटिस देकर नौकरी से निकाला जाएगा।

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने कहा कि सरकार ने कर्मचारियों की 10 मांगों में से 4 प्रमुख मांगें पहले ही स्वीकार कर ली हैं। बाकी मांगों के लिए कमेटी का गठन किया गया है। अब कर्मचारियों को हड़ताल खत्म कर अपने काम पर लौट जाना चाहिए। इसके बाद मनेंद्रगढ़ में NHM कर्मचारियों ने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर इच्छा मृत्यु की मांग की है ।

वहीं, सरकार के आदेश के बाद भी कर्मचारियों को स्ट्राइक जारी है। सरकार की चेतावनी का असर हड़ताल करने वाले कर्मचारियों पर नहीं हुआ है। NHM कर्मियों के हड़ताल को 27 दिन से अधिक होने जा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने 10 में से एक भी मांग लिखित में पूरी नहीं की है।

कांग्रेस ने इस पर कहा कि झूठा वादा क्यों किया गया। कर्मचारियों से बातचीत करने और उनकी मांगों का समाधान निकालने के बजाय सरकार दमन का रास्ता अपना रही है। कर्मचारियों को प्रताड़ित किया गया तो कांग्रेस पार्टी सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करेगी।

कांग्रेस बोली- झूठा वादा क्यों किया गया

कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि NHM कर्मचारियों की मांग बिल्कुल जायज है, लेकिन सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के बजाय उन्हें बर्खास्तगी करने की चेतावनी दी जा रही है।

भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में NHM कर्मचारियों से वादा किया था कि उनकी नौकरी नियमित की जाएगी और उनकी समस्याओं का समाधान होगा। यह वादा प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी का हिस्सा था। सवाल यह है कि जब वादा निभाना ही नहीं था, तो झूठा वादा क्यों किया गया? साफ है कि भाजपा सरकार अपने ही चुनावी वादों से मुकर रही है।

केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार का मामला कहा दिया

आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने भी स्पष्ट कर दिया है कि NHM कर्मचारियों का नियमितीकरण राज्य सरकार का विषय है, यानी अधिकार राज्य सरकार के पास है। फिर इस ‘डबल इंजन’ की सरकार को दिक्कत क्या है?