दुर्ग जिले में म्यूल अकाउंट से ठगी का मामला सामने आया है। सुपेला थाना क्षेत्र में रहने वाले एक युवक ने बैंक ऑफ इंडिया में खाता खोलकर उसे साइबर ठगों को उपयोग के लिए सौंप दिया। इस खाते में 4 लाख 99 हजार 393 रुपए का संदिग्ध लेनदेन पुलिस ने पकड़ा है। मामले का खुलासा गृह मंत्रालय के समन्वय पोर्टल से मिली जानकारी के आधार पर हुआ। जांच में ये भी सामने आया है कि कई ऑनलाइन फ्रॉड में खाते का उपयोग किया गया है। पुलिस ने साफ कहा है कि अपना खाता किसी दूसरे को देना साइबर अपराध का हिस्सा है। इस पर कार्रवाई होगी।
6 महीने में ही बैंक एकाउंट से 4 लाख से ज्यादा आए
सुपेला पुलिस के अनुसार आरोपी का नाम तुषार बडगईया (21 साल) है। वह संजय नगर, वेकेटेश्वर टॉकीज के पीछे का रहने वाला है। तुषार ने बैंक ऑफ इंडिया की सुपेला ब्रांच में खाता खुलवाया और अवैध रूप से धन कमाने के लालच में इसे दूसरों को दे दिया।
पुलिस की जांच में सामने आया कि 16 सितंबर 2024 से 14 मार्च 2025 के बीच उसके खाते में 4.99 लाख रुपए से अधिक की रकम अलग-अलग ट्रांजैक्शन के जरिए आई, जो देशभर में हुई साइबर ठगी से जुड़ी हुई है। कई ऑनलाइन फ्रॉड में किया गया खाते का उपयोग
गृह मंत्रालय के अंतर्गत संचालित समन्वय पोर्टल से मिली रिपोर्ट में बताया गया कि इस खाते का उपयोग कई ऑनलाइन फ्रॉड में किया गया। इसके बाद जानकारी स्थानीय पुलिस को दी गई। साइबर टीम और थाना पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए आरोपी की पहचान कर उसके खिलाफ केस दर्ज किया।
अपने खाते बेचने के लिए आरोपी ने कितने पैसे दिए, इसकी होगी जांच
पुलिस ने आरोपी तुषार बडगईया के खिलाफ धारा 317(2), 318(4) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया है। अधिकारियों का कहना है कि जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि आरोपी ने खाते को साइबर ठगों को किस माध्यम से उपलब्ध कराया और इसके बदले में उसे कितनी रकम मिली।
ठगी के पैसे के लिए इस्तेमाल करते हैं म्यूल अकाउंट
पुलिस के मुताबिक म्यूल अकाउंट का इस्तेमाल साइबर अपराधी अपने अवैध लेनदेन को छिपाने के लिए करते हैं। ठग फर्जी कॉल, ऑनलाइन लोन, इनाम या नौकरी के नाम पर लोगों से रकम ऐंठते हैं। फिर उसे ऐसे खातों में ट्रांसफर कर देते हैं, जिनका असली मालिक सिर्फ नाम का होता है। बाद में यह रकम कई अन्य खातों के जरिए आगे बढ़ाई जाती है, जिससे ट्रांजैक्शन को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।
अपना खाते को दूसरे को देना साइबर अपराध का हिस्सा
पुलिस का कहना है कि वे किसी भी परिस्थिति में अपने बैंक अकाउंट को दूसरों के उपयोग के लिए न दें। ऐसा करने पर व्यक्ति सीधे तौर पर साइबर अपराध का हिस्सा माना जाता है और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है।
साथ ही बैंक और साइबर सेल लगातार ऐसे खातों की मॉनिटरिंग कर रही है, ताकि ठगी की रकम पीड़ितों तक वापस पहुंचाई जा सके।