चॉकलेट, जंक फूड छिन रही बच्चों की मुस्कान

Chhattisgarh Crimesबच्चों में दांतों की सड़न और कैविटी आजकल तेजी से बढ़ रही है। छोटी उम्र में ही दांत काले पड़ना, दर्द होना और मसूड़ों से खून आना आम होता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण बच्चों की खानपान की आदतें और सही समय पर ब्रश न करना है। चॉकलेट, टॉफी और जंक फूड बच्चों के दांतों को तेजी से नुकसान पहुंचा रहे हैं।

राजधानी स्थित एकमात्र सरकारी डेंटल कॉलेज में बच्चों में दांतों की सड़न और दर्द के मामले तेजी से बढ़े हैं। डेंटल कॉलेज के पीडियाट्रिक विभाग में हर माह करीब 800 बच्चे दांतों में दर्द और सड़न की शिकायत लेकर पहुंचे हैं। इनमें ज्यादातर 5 से 10 साल की उम्र के बच्चे हैं। इस गंभीर समस्या और इससे बचाव के उपायों को लेकर भास्कर ने बात की बाल दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल पांडे से।

सड़न, कैविटी, दांत का काला पड़ना, मसूड़ों से खून आना और तेज दर्द जैसी समस्याएं आम

आजकल बच्चों में चॉकलेट, टॉफी और जंक फूड खाने की आदत बहुत बढ़ गई है। यह आदत उनके दांतों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। पहले भी लोग मीठा खाते थे, लेकिन फर्क यह है कि पहले खाने के बाद ब्रश करने की आदत होती थी, अब बच्चे न तो सही तरीके से ब्रश करते हैं और न ही नियमित करते हैं। यही वजह है कि छोटे-छोटे बच्चों के भी दांत खराब हो रहे हैं। बाजार में जो चॉकलेट और मिठाइयां उपलब्ध हैं, वे रासायनिक मिठास से बनी होती हैं।

जब बच्चे इसे खाते हैं, तो वह बच्चों के दातों में चिपक जाती है। ये न केवल दांतों की ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि मसूड़ों को भी कमजोर करती हैं। चॉकलेट के अलावा भी अन्य मीठे खाद्य पदार्थों का ज्यादा सेवन करने से मुंह में बैक्टीरिया तेजी से पनपते हैं। यही बैक्टीरिया दांतों को सड़ाते हैं। दूध की बोतल से भी दांतो के सड़ने का खतरा रहता है। आजकल ज्यादातर माताएं बच्चों को बोतल का दूध पिलाती हैं।

बच्चे सोते हुए भी रात से सुबह तक अपने मुंह में ही बोतल रखे रहते हैं। इसके चलते भी बच्चों के दांतों को नुकसान पहुंचता है। इसके चलते बच्चों में बहुत कम उम्र में ही दांतों से जुड़ी गंभीर समस्याएं सामने आ रही हैं। हमारे विभाग में हर माह करीब 800 बच्चे इसकी समस्या लेकर पहुंचते हैं। इनमें सड़न, इनमें कैविटी, दांत का काला पड़ना, मसूड़ों से खून आना और तेज दर्द जैसी समस्याएं आम हैं।

इनमें 60-7- फीसदी बच्चे जंक फूड और चॉकलेट खाने वाले होते हैं। ज्यादातर बच्चे तब आते हैं, जब यह समस्या काफी बढ़ जाती है। बच्चों की दांत में सूजन आ जाता है, बच्चा खाना नहीं खा पाता तब परिजन उन्हें अस्पताल ले कर आते हैं। सड़न की शुरुआत में ही अगर सही इलाज मिल जाए तो बच्चों को जल्दी राहत मिल सकता है। नहीं तो समस्या गंभीर हो जाती है।

जब तक बच्चे ब्रश नहीं करेंगे और मुंह की सही सफाई नहीं करेंगे, तब तक समस्या बनी रहेगी। बच्चों को दिन में कम से कम दो बार ब्रश कराएं। मीठा मुंह में बैक्टीरिया को तेजी से बढ़ाता है, जिससे कैविटी बनने लगती है। इसलिए उन्हें मीठा सीमित मात्रा में ही दें।

बच्चे अगर ज्यादा मीठा खाने की जिद करें तो उन्हें मीठा खिलाने के बाद कुल्ला जरुर करवाएं। ज्यादा मीठा दूध पिलाने से भी बचें। छोटे बच्चों को सही ढंग से ब्रश करना सिखाएं और हर छह माह में एक बार उन्हें डेंटिस्ट को दिखाएं। समय पर इलाज ना कराना भी काफी नुकसान दायक हो सकता है। रहते परहेज और सही देखभाल नहीं की गई तो बच्चों के दांत समय से पहले खराब हो सकते हैं।