इस ठगी का मास्टरमाइंड संतोष आचार्य पहले से ही ओडिशा की जेल में बंद है। दोनों ने मिलकर फर्जी एमसीएक्स कंपनी के नाम पर दर्जनों लोगों को लालच देकर चूना लगाया था।
ऐसे रचा गया ठगी का खेल
14 दिसंबर 2022 से 30 दिसंबर 2024 के बीच ठगों ने निवेशकों को झांसा दिया कि उनकी एमसीएक्स कंपनी में रकम लगाने पर हर महीने 3 से 7 प्रतिशत का मुनाफा मिलेगा।
भरोसा दिलाने के लिए निवेशकों को बॉन्ड पेपर भी थमा दिया गया। शर्त यह रखी गई कि अगर 60 दिन तक लाभांश नहीं मिला, तो बांड पेपर के जरिए रकम लौटा दी जाएगी अलग-अलग किस्तों में दिए 49.50 लाख
आरोपियों के जाल में फंसकर प्रार्थी योगेश साहू, उनकी पत्नी और दोस्तों ने अलग-अलग किस्तों में कुल 49.50 लाख रुपए कंपनी में निवेश कर दिए। शुरू में थोड़ी रकम वापस भी की गई, लेकिन जुलाई-अगस्त 2024 के बाद पैसा लौटाना पूरी तरह बंद कर दिया गया। जब निवेशकों ने बॉन्ड पेपर दिखाकर रकम मांगी, तो आरोपी ने ही पलटकर कह दिया कि बॉन्ड पेपर फर्जी है।
पुलिस ने कैसे कसा शिकंजा
27 अप्रैल 2025 को पीड़ित योगेश साहू ने नेवई थाने में शिकायत दर्ज कराई। जांच के बाद आरोपी प्रकाशचंद पाढ़ी और संतोष आचार्य पर ठगी का मामला दर्ज हुआ।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 25 सितंबर 2025 को प्रकाशचंद पाढ़ी को संबलपुर (ओडिशा) से दबोच लिया। आरोपी से 2 मोबाइल फोन भी जब्त किए गए हैं।
आरोपी खुद को बताता था कंपनी का डायरेक्टर
आरोपी संतोष आचार्य खुद को एमसीएक्स कंपनी का डायरेक्टर बताता था। उसके साथ उसका साथी प्रकाशचंद पाढ़ी (निवासी सम्बलपुर, ओडिशा) सक्रिय था। मास्टरमाइंड संतोष आचार्य पहले से ही संबलपुर जेल में बंद है। उस पर एक और धोखाधड़ी मामले में केस दर्ज है। दुर्ग कोर्ट ने उसे प्रोडक्शन वारंट पर तलब किया है और उसकी पेशी 6 अक्टूबर को तय की गई है।
आगे जांच कर रही पुलिस
मामले में एएसपी सुखनंदन राठौर ने बताया कि आरोपियों ने एक सोची-समझी योजना के तहत निवेशकों को लालच दिया और करोड़ों की ठगी की। आरोपियों ने इन्वेस्टमेंट कंपनी का फर्जी नेटवर्क तैयार किया था।
पहले भरोसा दिलाने के लिए कुछ समय तक छोटे-छोटे पेमेंट लौटाए। जैसे ही निवेशकों की संख्या और रकम बढ़ी, उन्होंने पैसा देना बंद कर दिया। अब इस नेटवर्क के बाकी कड़ी की जांच की जा रही है।