फसल चक्र-डबल ड्रिप सिस्टम से बढ़ाया उत्पादन

Chhattisgarh Crimesकिसान सिर्फ फसल उगाकर अन्न भंडार ही नहीं भरता बल्कि अपनी मेहनत और नवाचारी सोच के बल पर नई दिशा भी दिखाता है। कबीरधाम जिले के महाराजपुर गांव के युवा किसान योगेश सिन्हा ने यही कर दिखाया है। उन्होंने न सिर्फ परम्परागत खेती से इतर लगातार नवाचार करते हुए फलों की खेती में सफलता पाई बल्कि अपने स्तर पर कृषि यंत्र भी इजाद किए हैं।

किसान सिन्हा ने बताया, ग्रेजुएशन के बाद 2018 में मैंने पौध प्रजनन में पीजी और बाद में पीएचडी किया। नौकरी करने के बजाय पिता की राह पर चला। हमारे पास कुल 12 एकड़ जमीन है, जिस पर पिता सोयाबीन और अरहर की खेती करते थे। हालांकि मैंने आधुनिक खेती अपनाते हुए शुरुआत पपीते की बुवाई से की।

इस पर एक लाख रुपए खर्च हुए। घाटे के डर से मैंने शुरुआत केवल ढाई एकड़ से की थी। पौधों की सही वृद्धि हो और फसल रोग मुक्त रहे, इसके लिए फसल चक्र सहित ड्रेंचिंग और डबल ड्रिप सिस्टम आदि विधियां और उपाय अपनाए।

फसल चक्र अपनाने से खेत की मिट्‌टी उपजाऊ बनी रहती है। जबकि ड्रेंचिंग के तहत पानी में घुले पोषक तत्वों, कवक नाशक को सीधे पौधे की जड़ों के पास मिट्टी में डालते हैं। यह प्रक्रिया हर तीन दिन में करने से जड़ों के माध्यम से पौधों को उचित पोषण मिलता है।

छिड़काव की तुलना में इसमें खपत कम होती है और प्रभावशीलता बढ़ती है। ऐसे में पपीते से 4 लाख की कमाई हुई। पपीते की कटाई के बाद केले की फसल ली, जिस पर मात्र 40 हजार रुपए खर्च हुए और मुनाफा 8 लाख रुपए का हुआ।

किसान सिन्हा ने बताया, बन (खरपतवार या कीट) नाशक दवाई डालने के लिए मैंने खेत पर ही एक यंत्र भी बनाया। इस पर केवल 1200 रुपए खर्च हुए। इससे दवा डालते समय दूसरे पौधों को कोई नुकसान नहीं होता और दवा केवल लक्षित पौधे पर जाती है।

शुरुआत में उत्पाद बेचने में परेशानी आई लेकिन धीरे-धीरे व्यापारियों से संपर्क हुआ तो अब झारखंड, बिहार, दिल्ली, फिरोजाबाद तक के व्यापारी उत्पाद खरीद रहे हैं। मेरे प्रयोग को सफल देखकर अब राजस्थान और बिहार तक से कई किसान सम्पर्क करते हैं और पपीते-केले आदि की खेती के बारे में जानकारी लेते हैं।

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