अध्यक्ष अकेले ही अंतिम निर्णय लेती हैं, जबकि नियम के अनुसार दो सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान अनधिकृत लोग, यहां तक कि अध्यक्ष के पति और निजी वकील भी मौजूद रहते हैं, जो पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करता है। कोर्ट जाएंगे, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को देंगे जानकारी
सदस्यों ने घोषणा की है कि वे इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे और पूरे प्रकरण की जानकारी विधि विभाग, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि महिला आयोग की कार्यप्रणाली ‘लोकतांत्रिक भावना के विपरीत’ चल रही है।
सचिव पर तटस्थता खोने का आरोप
सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि आयोग के सचिव अभय सोनवानी किसी भी सवाल का जवाब नहीं देते। सरला कोसरिया ने कहा कि जब हम आय-व्यय और कार्य संबंधी जानकारी मांगते हैं, तो सचिव जवाब देने से बचते हैं। ऐसा लगता है जैसे वे अध्यक्ष के प्रति जवाबदेह हैं, आयोग के प्रति नहीं। भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप
सदस्यों ने कहा कि अध्यक्ष भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और आयोग को अपने निजी अधिकार क्षेत्र की तरह चला रही हैं। महिला आयोग की सदस्य लक्ष्मी वर्मा ने कहा कि उन्हें किसी भी संभागीय सुनवाई की जानकारी तक नहीं दी जाती। इसी कारण तीनों सदस्यों ने बुधवार (8 अक्टूबर) को सुनवाई का बहिष्कार किया। चेंबर में नेताओं की तस्वीरों पर भी विवाद
सदस्यों ने यह भी आपत्ति जताई कि महिला आयोग अध्यक्ष के चेंबर में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और भूपेश बघेल की तस्वीरें लगी हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या आयोग जैसी संवैधानिक संस्था में राजनीतिक नेताओं की तस्वीरें लगनी चाहिए? वहां केवल राज्यपाल और मुख्यमंत्री की फोटो होनी चाहिए। अध्यक्ष किरणमयी नायक का जवाब
वहीं इस पूरे विवाद पर अध्यक्ष किरणमयी नायक ने कहा कि मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगी, इस संबंध में सचिव ही जानकारी देंगे। छत्तीसगढ़ महिला आयोग में यह आंतरिक कलह न केवल प्रशासनिक अनुशासन पर सवाल उठा रही है, बल्कि आयोग की विश्वसनीयता पर भी बड़ा असर डाल रही है। आने वाले दिनों में यह विवाद राजनीतिक रूप भी ले सकता है।