रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल की शर्मनाक हरकत पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। दरअसल, अस्पताल में नवजात शिशु के पास एक पोस्टर लगाया गया था, जिस पर लिखा था- बच्चे की मां एचआईवी पॉजिटिव है। यह पोस्टर स्त्री रोग वार्ड में भर्ती मां और नर्सरी वार्ड में रखे नवजात के बीच लगाया गया था।
जब पिता अपने शिशु को देखने पहुंचा, तो उसने पोस्टर देखा और भावुक होकर रो पड़ा। इसे लेकर मीडिया ने खबर प्रकाशित की थी, जिसे हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है।
कोर्ट ने कहा कि यह न केवल अमानवीय है, बल्कि नैतिकता और निजता के अधिकार का घोर उल्लंघन भी है।
हाईकोर्ट ने कहा- यह अमानवीय और निंदनीय है
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एके प्रसाद ने इस मामले में मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र मांगा है। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर 2025 को होगी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि यह अत्यंत अमानवीय, असंवेदनशील और निंदनीय कृत्य है, जिसने मां-बच्चे की पहचान उजागर कर दी।
इससे उन्हें सामाजिक कलंक व भविष्य के भेदभाव का शिकार बना सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा के अधिकार का खुला उल्लंघन है।
राज्य के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान से अपेक्षा की जाती है कि वह रोगियों के साथ संवेदनशील और जिम्मेदार व्यवहार करे। एचआईवी-एड्स जैसे संवेदनशील मामलों में पहचान उजागर करना गंभीर चूक है।
हाईकोर्ट ने सीएस से पूछा- गोपनीयता बरतने क्या कदम उठाए गए
हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे 15 अक्टूबर तक व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत करें। इसमें यह बताना होगा कि सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की गोपनीयता सुनिश्चित करने की क्या व्यवस्था है।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाए कि कर्मचारियों, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को संवेदनशील बनाने और कानूनी-नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और आगे क्या योजना है।
चीफ जस्टिस बोले-दोबारा न हो ऐसी गलती
हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल कानूनी रूप से अपराध हैं, बल्कि मानव गरिमा पर सीधा प्रहार हैं। भविष्य मे ऐसी गलती दोबारा न हो। आदेश की कॉपी तत्काल मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि समय पर कार्रवाई करने के साथ ही जवाब भी प्रस्तुत किया जा सके।