छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में भूख हड़ताल में बैठे किसान परिवार को उनकी पुश्तैनी जमीन वापस मिल गई

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के गरियाबंद में भूख हड़ताल में बैठे किसान परिवार को उनकी पुश्तैनी जमीन वापस मिल गई है। 4 साल का संघर्ष, 2 लाख रिश्वत, 12 घंटे की हड़ताल और आत्मदाह की चेतावनी के बाद उन्हें जमीन मिली है। आज मंगलवार को एसडीएम और तहसीलदार ने किसान को कब्जा वापस दिलाया। प्रशासन ने दबंगों को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने दोबारा कब्जा किया तो एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला अमलीपदर तहसील के खरीपथरा का है। किसान मुरहा नागेश की 7 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर गांव के ही दबंगों ने कब्जा कर लिया था। हाल ही में अमलीपदर तहसील ने मुरहा के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन विपक्षी पक्ष ने इस आदेश को एसडीएम न्यायालय में चुनौती दे दी थी। ऐसे में एसडीएम कार्यालय ने मुरहा के खेती के काम पर रोक लगा दी थी।

आत्मदाह की दी थी चेतावनी

सोमवार को मुरहा अपने दो बच्चे व पत्नी के साथ खाली बर्तन लेकर भूख हड़ताल पर बैठे हुए थे। परिवार ने मांग पूरी नहीं होने पर आत्मदाह की चेतावनी भी दी थी। शाम 5 बजे तक कलेक्टर ने पहले तो न्यायालय मामला बता कर मामले को खत्म करने की कोशिश। लेकिन इससे बात नहीं बनी।

लिखित आश्वासन के बाद माना परिवार

8 बजे रात को प्रशाशन ने कब्जा खाली कराने का लिखित आश्वासन किसान परिवार को दिया। जिसके बाद भूख हड़ताल खत्म किया गया। आज मंगलवार को मैनपुर एसडीएम तुलसी दास मरकाम राजस्व अमले के साथ पहुंचे और किसान को कब्जा दिलाया। प्रशासन ने कब्जाधारियों के लिए ही फरमान जारी कर कहा कि काबिज हुए तो इस बार एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।

कब्जाधारियों ने जमीन पर बोया था मक्का

वहीं, एसडीएम की मौजूदगी में खड़ी फसल पर ट्रैक्टर चलवाया गया। ताकि फसल रहित जमीन किसान को कब्जा में दिलाया जाए। क्योंकि कब्जाधारियों ने किसान की जमीन पर मक्का बुआई कर दिया था। कार्रवाई के दौरान उनके परिजनों ने जमकर हंगामा किया। जिसके बाद मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया।

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