सेंट्रल यूनिवर्सिटी से स्टूडेंट लापता…3 दिन बाद मिला शव

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के बिलासपुर में गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के तालाब में 23 अक्टूबर को एक युवक की लाश मिली थी, जिसकी पहचान यूनिवर्सिटी के स्वामी विवेकानंद हॉस्टल में रहने वाले छात्र अर्सलान अंसारी के रूप में हुई है। वह बिहार के छपरा का रहने वाला था।

जानकारी के मुताबिक, अर्सलान अंसारी 21 अक्टूबर से लापता था। वह B.Sc फिजिक्स स्टूडेंट था। रविवार को अर्सलान के पिता अर्शद अयूब बिहार से बिलासपुर पहुंचे और कपड़ों के आधार पर बेटे की पहचान की। उन्होंने अपने बेटे की मौत के लिए यूनिवर्सिटी प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है।

पिता का आरोप है कि यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही उनके बेटे की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि बेटे के गायब होने की शिकायत और जानकारी देने के बावजूद किसी ने समय पर ध्यान नहीं दिया। इधर, सिम्स में शव का पीएम करने वाले डॉक्टर और कर्मचारियों ने सिर पर चोट के निशान होने की बात कही है। इससे छात्र की हत्या की आशंका भी जताई जा रही है।

सीसीटीवी और रजिस्टर से हुआ था मामले का खुलासा

दरअसल, शुक्रवार की रात यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने हॉस्टल का सीसीटीवी और रजिस्टर चेक किया। इसके बाद पता चला कि हॉस्टल से एक छात्र 21 अक्टूबर से गायब है। 23 अक्टूबर को विश्वविद्यालय परिसर में यूटीडी के पास तालाब में एक युवक का शव मिला। शिनाख्त न होने के कारण पुलिस ने शव को सिम्स की मरच्यूरी में रखवा दिया था।

ABVP ने की थी एसएसपी से जांच की मांग

हालांकि, छात्र पुरानी फोटो और टी-शर्ट देखकर अंदाजा लगा रहे थे कि शव बीएससी थर्ड ईयर के गायब छात्र का हो सकता है। उनका यह भी कहना था कि छात्र के पिता से बात हुई है। उन्होंने बताया था कि 18 अक्टूबर के बाद से बेटे से बात नहीं हुई है। इस पूरे मामले में 25 अक्टूबर को ABVP के प्रतिनिधिमंडल ने एसएसपी रजनेश सिंह निष्पक्ष जांच के लिए एक कमेटी गठित करने की मांग की थी।

18 अक्टूबर के बाद से नहीं हुई थी बात- पिता

इधर, शनिवार को लापता छात्र अर्सलान अंसारी के अर्सलान अंसारी बिहार से बिलासपुर पहुंचे और उन्होंने बेटे के कपड़ों से पहचान की। उन्होंने बताया कि बेटा बीएससी फिजिक्स, पांचवें सेमेस्टर का छात्र था और स्वामी विवेकानंद हॉस्टल के कमरे नंबर 45 में रहता था। 18 अक्टूबर के बाद से बेटे से बात नहीं हो पाई थी। 24 अक्टूबर को प्रशासनिक वार्डन को कॉल किया तो उन्होंने कहा कि देखकर बताऊंगा, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया।

जल्दी भेजने की कोशिश करते रहे

उन्होंने कहा कि, जब मैं शनिवार को आया तो पुलिस और अधिकारी मुझे यहां से जल्दी भेजने की कोशिश कर रहे थे। एफआईआर दर्ज कराने गया तो नहीं लिखी गई। यूनिवर्सिटी ने कोई सहयोग नहीं किया। पिता ने कहा कि मेरा बेटा आत्महत्या नहीं कर सकता। यह स्पष्ट रूप से प्रबंधन की लापरवाही का मामला है।

इन्हें बताया बेटे की मौत का जिम्मेदार

उन्होंने कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल, कुलसचिव प्रो. एएस रणदीवे, चीफ वार्डन प्रो. प्रतिभा जे. मिश्रा, प्रशासनिक वार्डन डॉ. महेश सिंह ढपोला, सुरक्षा अधिकारी डॉ. सीमा राय, प्रॉक्टर डॉ. एमके सिंह और डीएसडब्ल्यू डॉ. शैलेंद्र कुमार को जिम्मेदार बताया सभी पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में कोनी थाना प्रभारी को लिखित शिकायती पत्र भी दिया है।

भाई बोला-यूनिवर्सिटी के अधिकारी किसी से मिलने नहीं दिए

अर्सलान के छोटे भाई गौहर अंसारी शनिवार को बिलासपुर पहुंच गया था। उसने बताया कि वे बॉडी देखकर पूरी तरह पुष्टि नहीं कर सके थे, इसलिए पिता के आने पर ही पहचान की बात कही। गौहर ने बताया कि यूनिवर्सिटी पहुंचने पर चीफ वार्डन डॉ. प्रतिभा जे. मिश्रा और प्रशासनिक वार्डन डॉ. महेश ढपोला उन्हें हॉस्टल या अन्य छात्रों से मिलने नहीं दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि मैं हॉस्टल में भाई का कमरा नंबर 45 देखना चाहता था, पर नहीं जाने दिया गया। जब भी कुछ पूछता था, तो कहते थे-पुलिस जानकारी देगी। मुझे दोस्तों से मिलने या बाहर जाने भी नहीं दिया गया। अगर अर्सलान 21 अक्टूबर से हॉस्टल नहीं आया था, तो वार्डन को इसकी जानकारी कैसे नहीं थी? यह स्पष्ट लापरवाही है।

यूनिवर्सिटी ने बनाई तीन सदस्यीय जांच कमेटी

इधर, यूनिवर्सिटी के मीडिया सेल प्रभारी डॉ. मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि छात्र के पिता ने डेड बॉडी की पहचान की है। पोस्टमॉर्टम के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने दो गाड़ियों से बॉडी को उनके गांव भेज दिया। उन्होंने कहा कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो जल्द अपनी रिपोर्ट देगी।

छात्रों का आरोप-मौत पर संवेदनहीन यूनिवर्सिटी

छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी में उनके साथी छात्र की मौत हुई है, लेकिन प्रबंधन ने संवेदनहीन रवैया अपनाया। रविवार को ही विश्वविद्यालय परिसर में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। छात्र संगठनों ने कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन की असंवेदनशीलता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

सिर में चोट के निशान, बिसरा जांच के लिए सुरक्षित

सिम्स के डॉक्टरों और पोस्टमॉर्टम करने वाले कर्मचारियों के अनुसार, शव लगभग पांच से छह दिन पुराना था। पानी में डूबे रहने और दो दिन से मॉर्चुरी में रखे रहने के कारण शव में कीड़े पड़ गए थे। लंबे समय तक पानी में रहने से मांस गल चुका था और चमड़ी उधड़ गई थी।

सिर की हड्डी पर लाली जरूर पाई गई। डॉक्टरों का कहना है कि यह चोट तालाब में किसी पत्थर से टकराने पर भी हो सकती है। फिलहाल, पीएम रिपोर्ट जारी नहीं की गई है, बिसरा जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है।

जांच में कुछ मिला तो होगी एफआईआर

सिटी कोतवाली सीएसपी गगन कुमार ने बताया कि प्रारंभिक जांच में डूबने से ही मौत होना पाया गया है। सिर पर चोट के निशान की जानकारी मुझे नहीं है। पेट जरूर फटा था। छात्र के पिता ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। पुलिस पूरे मामले में एक-एक बिंदू पर जांच कर रही है। यदि कुछ भी मिला तो एफआईआर दर्ज किया जाएगा।