छत्तीसगढ़ में नक्सल संगठन अब कमजोर पड़ता जा रहा है। पिछले लगभग डेढ़ साल में महासचिव बसवा राजू समेत 10 से ज्यादा सेंट्रल कमेटी, स्पेशल जोनल कमेटी के सदस्य मारे गए हैं। कई CCM, SZC, DKSZCM, DVCM और ACM कैडर के नक्सलियों ने हथियार भी डाल दिए हैं। नक्सलियों के पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी में अब लीडरशिप लगभग खत्म हो गई है। इसी साल 21 मई को अबूझमाड़ में नक्सल संगठन के महासचिव बसवा राजू का एनकाउंटर हुआ था। जिसके बाद अफवाह थी कि पोलित ब्यूरो मेंबर देवजी को बसवा राजू की जगह महासचिव की जिम्मेदारी दी गई है।
लेकिन, ओडिशा के टॉप लीडर गणेश ने प्रेस नोट जारी कर इस अफवाह को झूठा बताया है। नक्सली गणेश का कहना है कि, पुलिस के बढ़ते दबाव की वजह से सेंट्रल कमेटी की अब तक न कोई भी बैठक हुई और न ही देवजी को बसवा राजू की जगह महासचिव पद की जिम्मेदारी दी गई है। ये अफवाह झूठी है। ये पद अब भी खाली है।
यानी अब ये साफ है कि नक्सलियों की लीडरशिप अब लगभग खत्म हो गई। संगठन को लीड करने और इनके राजनीतिक और मिलिट्री स्ट्रक्चर में संगठन को लेकर निर्णय लेने वाला कोई टॉप लीडर अब तक तय नहीं हो पाया है। संगठन पूरी तरह बिखर चुका है। पड़ोसी राज्यों में सिमटा नक्सलवाद
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में नक्सल घटनाओं के साथ ही नक्सलवाद लगभग खत्म हो गया है। यहां के 80 प्रतिशत बड़े कैडर्स के नक्सली छत्तीसगढ़ में बस्तर के अलग-अलग लोकेशन में शिफ्ट हो गए थे, लेकिन अब यहां भी फोर्स का दबाव है।
नक्सल संगठन की सबसे बड़ी कमेटी पोलित ब्यूरो और पोलित ब्यूरो सचिव से लेकर सेंट्रल कमेटी जैसे बड़े पद में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के ही नक्सलियों को जगह मिलती थी।
इक्का-दुक्का झारखंड के नक्सली हैं। साल 2022 की सूची के मुताबिक पोलित ब्यूरो में 5 और सेंट्रल कमेटी में 18 नक्सली थे। लेकिन, सालभर के अंदर ही पोलित ब्यूरो मेंबर बसवा राजू समेत अन्य 13 से ज्यादा टॉप लीडर के नक्सली मारे गए हैं। जबकि, CCM भूपति और रूपेश समेत अन्य नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है।