छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरबा में फ्लाई ऐश, धूल और डस्ट के साथ ही जर्जर सड़कों की वजह से आम लोगों को हो रही परेशानियों पर सख्ती दिखाई है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कंपनियों और लोक निर्माण विभाग को दो सप्ताह के भीतर समस्या का स्थायी समाधान पर रोडमैप बनाकर पेश करने कहा है।
जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान स्थिति का जायजा लेकर हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर रविंद्र शर्मा को रिपोर्ट तैयार कर पेश करने कहा था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि माणिकपुर माइंस तक जाने वाली सड़क पर कीचड़, धूल और फ्लाई ऐश फैला हुआ है। जिससे दुर्घटनाओं और जाम का खतरा बना रहता है। वहीं, भारी वाहनों की वजह से ट्रैफिक की समस्या बनी रहती है।
हाईकोर्ट बोला- प्रदूषण और जर्जर सड़क प्रमुख समस्या
हाईकोर्ट ने माना कि सड़कों की दुर्दशा ही प्रदूषण, जाम और हादसों की मुख्य वजह है। चूंकि यह सड़क लोक निर्माण विभाग के अधीन है, इसलिए हाईकोर्ट ने विभाग के सचिव को तत्काल स्थायी सड़क निर्माण शुरू करने और अगली सुनवाई 14 नवंबर से पहले विस्तृत रिपोर्ट और प्रगति ब्योरा देने को कहा है।
पर्यावरण मंडल का जवाब- औद्योगिक इकाइयों से वसूला जुर्माना
मुख्य सचिव और पर्यावरण संरक्षण मंडल ने बताया कि, पिछले दो सालों में परिवहन नियमों के उल्लंघन पर औद्योगिक इकाइयों से 1.43 करोड़ रुपए से अधिक का पर्यावरण मुआवजा वसूला गया है। फ्लाई ऐश की आवाजाही पर निगरानी के लिए जीपीएस आधारित ट्रैकिंग सिस्टम भी शुरू किया गया है।
एनटीपीसी और बालको से मांगा शपथ पत्र
हाईकोर्ट ने विशेष रूप से एनटीपीसी और बालको के चेयरमैन को व्यक्तिगत शपथ पत्र देने के निर्देश दिए हैं। जिसमें उन्हें फ्लाई ऐश प्रबंधन और सड़क रखरखाव की कार्रवाई का विस्तृत ब्योरा देना होगा। इसके अलावा एसईसीएल, एनटीपीसी, बालको और लैंको सहित सभी उद्योगों को पर्यावरण संरक्षण मंडल और राज्य सरकार के साथ दो सप्ताह के भीतर एक संयुक्त बैठक करने का आदेश दिया है।
इस बैठक का उद्देश्य फ्लाई ऐश के स्थायी प्रबंधन, ट्रैफिक नियंत्रण और जर्जर सड़कों के सुधार के लिए एक स्थायी रोडमैप तैयार करना है। साथ ही, स्थानीय स्तर पर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कोरबा नगर निगम को भी मामले में पक्षकार बनाया गया है।