दुर्ग जिले के मतवारी गांव की नीलिमा साहू ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) परीक्षा में सफलता हासिल की है। बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग में विशेष कार्य पदाधिकारी (OSD) के रूप में कार्यरत नीलिमा को केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद बिहार कैडर में आईएएस के रूप में शामिल किया गया है।
नीलिमा साहू (45 साल) का चयन गैर-राज्य सिविल सेवा (Non-SCS) श्रेणी के तहत हुआ है। यह उनका पहला प्रयास था जिसमें उन्हें सफलता मिली। उनकी इस उपलब्धि ने पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उन्हें नॉन-एससीएस कैटेगरी से कामयाबी मिली है।
माता पिता का सपना पूरा किया
नीलिमा के पिता भैया लाल साहू एक सेवानिवृत्त हेडमास्टर हैं, जबकि उनकी मां ढ़ेलेश्वरी साहू गृहिणी हैं। उनके माता-पिता का सपना था कि उनकी बेटी आईएएस बने, जिसे नीलिमा ने अपनी कड़ी मेहनत से साकार किया।
नीलिमा पांच भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर हैं। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने पैतृक गांव मतवारी में पूरी की। कक्षा छठवीं में उनका चयन जवाहर नवोदय विद्यालय बोरई (दुर्ग) में हुआ।
10वीं के बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के गुंटूर नवोदय विद्यालय से 11वीं और 12वीं की पढ़ाई की। साल 2000 में उन्होंने शासकीय डिग्री कॉलेज रायपुर से बी.एससी की डिग्री प्राप्त की और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चली गईं।
इंटरव्यू तक पहुंची पर सफल नहीं हो पाई
इससे पहले, नीलिमा ने साल 2004-05 और 2007-08 में यूपीएससी और सीजीपीएससी दोनों परीक्षाओं में इंटरव्यू तक का सफर तय किया था, लेकिन अंतिम चयन नहीं हो पाया था।
इन असफलताओं के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। बाद में, उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में सफल होकर बिहार प्रशासनिक सेवा में शामिल हुईं।
नीलिमा के पति अमूल्य कुमार व्यवसायी हैं। उनका बेटा अगस्त्य कुमार कक्षा दसवीं में और बेटी अनाया कक्षा पांचवीं में पढ़ाई कर रही है। नीलिमा के भाई चंदन साहू बताते हैं कि गैर-राज्य सिविल सेवा (Non-SCS) के तहत यह उनका पहला प्रयास था। उन्होंने पहले दो बार यूपीएससी में इंटरव्यू दिए थे, लेकिन चयन नहीं हुआ।
बिहार कैडर में IAS बनी
भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा 27 अक्टूबर 2025 को जारी अधिसूचना में नीलिमा का नाम 2024 (Non-SCS) चयन सूची में शामिल किया गया है। अब वे बिहार कैडर में आईएएस अधिकारी के रूप में अपनी नई भूमिका संभालेंगी।
उनकी इस ऐतिहासिक उपलब्धि से ग्राम मतवारी सहित पूरे दुर्ग जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है। ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटकर जश्न मनाया। परिजनों की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू झलकते रहे।
नीलिमा कहती हैं – असफलता अंत नहीं होती, बल्कि सीखने का एक अवसर होती है। अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं रहती। नीलिमा साहू का यह सफर न सिर्फ उनके परिवार के लिए, बल्कि उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है जो कठिन परिस्थितियों के बावजूद बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं।
अलग-अलग जिम्मेदार पदों पर रह चुकी है
नीलिमा ने बिहार सरकार के कई महत्वपूर्ण विभागों में जिम्मेदार पदों पर कार्य किया। उन्होंने 25 सितंबर 2013 को जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, आरा (भोजपुर) के रूप में पदभार संभाला, जो डिप्टी कलेक्टर के समकक्ष पद है।
उनकी प्रमुख पदस्थापनाओं में शामिल हैं
नीलिमा जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, आरा (भोजपुर) एवं जहानाबाद जिला कल्याण अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी (ICDS)सहायक निदेशक, सामाजिक सुरक्षा एवं बाल संरक्षण इकाई नोडल अधिकारी,
जिला उर्दू प्रकोष्ठ POSH एक्ट के तहत आंतरिक समिति की अध्यक्ष, जहानाबाद और वर्तमान में विशेष कार्य पदाधिकारी (OSD), बापू टावर, महात्मा गांधी मल्टीमीडिया संग्रहालय, भवन निर्माण विभाग, बिहार सरकार इन पदों पर रह चुकी है।