छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने रायपुर में ब्लैकमेलिंग और सूदखोरी के केस में हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर और वीरेंद्र तोमर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने रायपुर में ब्लैकमेलिंग और सूदखोरी के केस में हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर और वीरेंद्र तोमर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। वहीं, दोनों की पत्नियों और भतीजे की अग्रिम जमानत मंजूर की है।

सरकारी वकील ने अदालत में तोमर बंधुओं की अग्रिम जमानत का विरोध किया। सरकारी वकील ने बताया कि दोनों भाइयों का आपराधिक रिकॉर्ड लंबा है और उन पर लगभग 16 मामले दर्ज हैं। पुलिस छापेमारी में उनके घर से कई ब्लैंक चेकबुक, हथियार और कारतूस बरामद हुए। इसके अलावा वे बिना लाइसेंस के अवैध सूदखोरी भी करते पाए गए।

सरकारी वकील के तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने तोमर बंधुओं की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। याचिका खारिज होने के बाद तोमर बंधु के वकील ने कहा कि वे अन्य कानूनी विकल्पों का सहारा लेंगे, क्योंकि इसी मामले में अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और इन्हें भी राहत मिलने की उम्मीद है।

इधर, दोनों की पत्नियों और भतीजे को जमानत मिलने पर राहत मिली है। याचिका में आरोप लगाया गया कि साधारण मारपीट के केस में पुलिस आर्गेनाइज क्राइम में परिवार को फंसा रही है।

दरअसल, रायपुर के तेलीबांधा और पुरानी बस्ती थाने में वीरेंद्र तोमर और उसके भाई रोहित तोमर पर एक्सटॉर्शन और सूदखोरी का केस दर्ज किया गया है। मामले में जब पुलिस ने उनके घर में दबिश दी थी, तब कैश, चेक और जमीनों के दस्तावेज मिले थे।

पुलिस ने जांच के बाद दावा कि मामला आर्गेनाइज क्राइम से जुड़ा हुआ है। लिहाजा, पुलिस ने तोमर बंधुओं के खिलाफ अलग-अलग 7 FIR दर्ज कर सख्ती से कार्रवाई शुरू कर की।

फरार तोमर ब्रदर्स पर इनाम घोषित

इस कार्रवाई के दौरान वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर पुलिस की गिरफ्तारी के डर से फरार हो गए। पुलिस के अनुसार, रोहित ने अपनी पत्नी भावना के नाम से ऑफिस खोला था। जहां से सूदखोरी का धंधा ऑपरेट करता था।

घटना के बाद से पुलिस दोनों भाइयों की तलाश कर रही है। साथ ही दोनों हिस्ट्रीशीटर भाइयों की जानकारी देने पर रायपुर पुलिस ने इनाम भी घोषित किया है।

पत्नी और परिवार के सदस्यों को बनाया आरोपी

फरार रोहित तोमर को जब पुलिस पकड़ नहीं पाई, तब उसकी पत्नी भावना तोमर को हिरासत में लिया गया। आरोप है कि पुलिस ने भावना के साथ ही वीरेंद्र की पत्नी शुभ्रा और परिवार के सदस्यों को आर्गेनाइज क्राइम जैसे गंभीर अपराधों में शामिल बताकर आरोपी बना दिया। पुलिस की गिरफ्तारी के बाद पत्नी और परिवार के सदस्यों को कोर्ट से जमानत मिल गई

आर्गेनाइज क्राइम में फंसाने का आरोप

तोमर बंधु की पत्नी और परिवार के सदस्यों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद वर्मा के माध्यम से दायर याचिका में बताया गया कि साधारण मारपीट के केस को पुलिस ने आर्गेनाइज क्राइम बना दिया है। इस मामले में रोहित के खिलाफ केस दर्ज किया गया।

लेकिन, इसके बाद पुलिस ने परिवार के सदस्यों को टारगेट किया और जिन लोगों ने 8-10 साल पहले कर्ज लिया था। उन्हें बुला-बुलाकर परिवार के सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की गई।

याचिका में याचिकाकर्ताओं पर फर्जी केस दर्ज करने का आरोप लगाते हुए अग्रिम जमानत देने का आग्रह किया गया। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की बेंच में हुई। कोर्ट ने सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं को अग्रिम जमानत दे दी है।

तोमर बंधुओं को मिली बड़ी राहत

पूर्व एडवोकेट जनरल सतीश चंद वर्मा ने कहा कि हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिलने के बाद हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर और वीरेंद्र तोमर की पत्नियों को बड़ी राहत मिली है। इस फैसले के आधार पर रोहित तोमर और उसके भाई को भी अग्रिम जमानत मिल सकती है। या तो दोनों भाइयों को कोर्ट से जमानत ले सकते हैं या फिर सुप्रीम कोर्ट से बेल मिल सकती है।

प्रॉपर्टी डीलर से की मारपीट के बाद हुआ फरार

बता दें कि प्रॉपर्टी डीलर दशमीत चावला ने रोहित तोमर के खिलाफ मारपीट का आरोप लगाते हुए तेलीबांधा थाने में FIR दर्ज कराई थी। मामले के बाद से पुलिस रोहित की तलाश में जुटी हुई है। रोहित के फरार होने के बाद उसका भाई वीरेंद्र तोमर भी गायब हो गया।

पुलिस ने दोनों आरोपियों की तलाश में कई राज्यों में टीमें भेजी, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई देखकर पीड़ित पहुंच रहे थाना

हिस्ट्रीशीटर तोमर भाइयों के कई लोग शिकार हैं। आरोपियों और उनके गुर्गों का खौफ पीड़ितों में इस कदर था कि उसी शहर में रहते हुए भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराने नहीं जा पा रहे थे। लेकिन जब से पुलिस ने वीरेंद्र और रोहित पर कार्रवाई शुरू की है, तब से पीड़ितों के मन में डर खत्म हो गया है।

दोनों भाइयों के खिलाफ अब तक 6 से ज्यादा FIR दर्ज हैं, जिसमें पीड़ितों ने आरोपी रोहित तोमर और वीरेंद्र तोमर के खिलाफ अवैध वसूली, धमकी और छत्तीसगढ़ ऋणियों का संरक्षण अधिनियम के तहत FIR दर्ज की है।