
बस्तर में फोर्स अब नक्सलियों के खात्मे की तैयारी में है। नक्सली संगठन के कई बड़े नेताओं के मारे जाने के बाद सुरक्षाबल एक्टिव मोड पर है। फोर्स का फोकस बस्तर के 50 चुनिंदा गांवों पर है, जहां से नक्सलियों की पकड़ पूरी तरह खत्म करने की तैयारी है।
बताया जा रहा है कि इस अभियान की शुरुआत बीजापुर जिले से हो रही है। इसके लिए नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा और सुकमा से डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व ग्रुप) के जवानों की 10 से ज्यादा टीमें बनाई जा रही हैं।
इन जवानों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं और उन्हें अगले आदेश तक ड्यूटी पर रहने के निर्देश दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि यह ऑपरेशन अबूझमाड़ और करेंगुट्टा जैसे पिछले बड़े अभियानों की तरह ही बड़े पैमाने पर चलाया जाएगा 28 सितंबर को ओडिशा बॉर्डर पर मारे गए थे 3 नक्सली
इसके पहले 28 सितंबर को DRG, गरियाबंद और कांकेर पुलिस ने छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर एक मुठभेड़ में 3 इनामी नक्सलियों को मार गिराया। मारे गए नक्सलियों में दो पुरुष और एक महिला शामिल हैं। यह मुठभेड़ कांकेर-धमतरी सीमा पर तियारपानी के जंगलों में हुई थी।
जवानों ने मौके से तीनों नक्सलियों के शव SLR, थ्री नॉट थ्री राइफल और 12 बोर बंदूक बरामद किया था। मारे गए नक्सलियों की पहचान सीतानदी एरिया कमेटी का कमांडर श्रवण, नगरी एरिया कमेटी का डिप्टी कमांडर राजेश और सहयोगी बसंती के रूप में हुई। अब जानिए कैसे मारे गए तीन इनामी नक्सली ?
दरअसल, कांकेर कोतवाली थाना क्षेत्र के तियारपानी के जंगलों में नक्सलियों के मौजूदगी की सूचना मिली थी। इसके बाद सूचना के आधार पर कांकेर DRG, BSF और गरियाबंद पुलिस सर्च ऑपरेशन पर निकली थी, तभी जंगल में घात लगाए नक्सलियों ने फायरिंग शुरू की।
इस दौरान जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने भी मोर्चा संभाला। दोनों ओर से फायरिंग में तीन नक्सली मारे गए थे। मारे नक्सलियों में कमांडर सरवन मडकम पर 8 लाख, डिप्टी कमांडर राजेश उर्फ राकेश हेमला पर 5 लाख और बसंती कुंजाम पर 1 लाख का इनाम था।