
मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर हो चुकी महिला ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। वह कभी रामानुजगंज के छठ घाट, कभी मंदिर परिसर तो कभी गांधी मैदान में अपना समय बिताती हैं। जो मिले खा लेती है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर
रामानुजगंज से सटा हुआ ग्राम पंचायत पुरानडीह में कौशल्या का परिवार रहता है। कौशल्या ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि उनके पति विकास कुमार पल्लेदारी (अनाज या अन्य भारी सामान को लादने का काम) कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वे कौशल्या का इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं। इसके बावजूद, गरीबी से जूझ रहे विकास रोजाना अपनी पत्नी और बेटी तक तीन वक्त का भोजन पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
परिवार परेशान ना हो इसलिए घर छोड़ा
कौशल्या का कहना है कि वह नहीं चाहतीं कि उनकी बीमारी के कारण परिवार परेशान हो, इसलिए उन्होंने घर से दूर रहना ही बेहतर समझा। बीमारी के कारण वह मानसिक रूप से काफी टूट चुकी हैं।
अब प्रशासन से मदद की उम्मीद
आस-पास के लोग भी उनकी स्थिति देखकर दुखी हैं, लेकिन संसाधनों के अभाव में कोई मदद नहीं कर पा रहे। स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से अपील की है कि कौशल्या देवी को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। ग्रामीणों का मानना है कि यदि समय पर इलाज हो जाए तो कौशल्या फिर से सामान्य जीवन जी सकती हैं और अपनी छोटी बच्ची की परवरिश अच्छे
से कर पाएंगी।