
जिसके बाद पत्नी ने आरोप लगाया कि शादी के बाद पति और ससुराल वालों ने उसे धर्म छोड़कर जैन धर्म अपनाने के लिए कहा। उसने ईसाई धर्म छोड़ने से मना किया, तो पति उसे ससुराल नहीं ले गया। शादी के बाद से मजबूरी में वह अपने माता पिता के घर पर रह रही है।
पत्नी ने इंजीनियर पति से मांगा भरण-पोषण
उसकी हरकतों से परेशान होकर पत्नी ने फैमिली कोर्ट में परिवाद लगाया। कोर्ट को बताया कि, उसे गंभीर शारीरिक परेशानी है। कमर और सीने के दर्द का इलाज कराना पड़ता है। जिस पर हर महीने 20 से 25 हजार रुपए खर्च होते हैं।
उसके पास आय का कोई साधन नहीं है। पति इंजीनियर है, उसे हर महीने 85940 रुपए सैलरी मिलती है। पत्नी ने पति के आय को देखते हुए हर महीने 45 हजार रुपए भरण पोषण देने की मांग की। 12 हजार रुपए भरण-पोषण देने का आदेश
फैमिली कोर्ट ने पत्नी और पति की तर्को को सुना, जिसके बाद कोर्ट ने उसके पति को हर महीने 12 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती, हाईकोर्ट ने किया रद्द
इधर, पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील कर दी। इसमें बताया गया कि पति की ओर से दलील दी गई कि वह शिक्षित है, खुद का खर्च उठा सकती है। वह अपनी मर्जी से अलग रह रही है। घर का किराया, खर्च, मेडिकल बिल उसकी आय पर निर्भर है। इस वजह से भरण-पोषण देना मुश्किल होगा। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच में हुई।
हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी के पास कमाई का स्रोत नहीं है और पति की आय स्पष्ट है। इसलिए पत्नी को सहायता देना कानूनी और नैतिक रूप से जरूरी है। अपील खारिज होने के बाद अब पत्नी को हर माह 12 हजार रुपए भरण-पोषण मिलने का रास्ता साफ हो गया है।