
इस दौरान ठेले पर लगे रेलवे के नोटिस को लेकर सवाल उठाया, जिसमें 7 दिन के अंदर जगह खाली करने का आदेश था। आकाश तिवारी ने कहा कि नगर निगम ने 10-12 करोड़ खर्च कर चौपाटी बनाई थी, अब उसे गलत साबित किया जा रहा है। लेकिन जिन अधिकारियों ने गलत फैसला लिया, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। ठेले वालों की मुश्किलें बढ़ीं
आमानाका ब्रिज के नीचे 32 मैकेनिक दुकानदारों के लिए भी संकट पैदा हो गया है। रेलवे ने उन्हें भी नोटिस जारी कर दिया है। दुकानदारों का कहना है कि चौपाटी शिफ्ट होने में देरी हो रही है और अब रेलवे की ओर से मिले नोटिस ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है।
होल्ड पर है चौपाटी शिफ्टिंग
नगर निगम की ओर से आमानाका चौपाटी शिफ्ट करने की योजना फिलहाल रोक दी गई है। नगर निगम आयुक्त विश्वदीप ने स्पष्ट किया कि रेलवे की ओर से जारी किए गए नोटिस के बाद चौपाटी शिफ्टिंग की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर रेलवे प्रशासन से बातचीत जारी है और जल्द ही कोई समाधान निकाला जाएगा। रेलवे का दावा, पार्किंग की योजना पहले से तैयार
वहीं, रायपुर रेल मंडल के डीसीएम राकेश सिंह ने बताया कि रेलवे इस जमीन पर पहले ही पार्किंग विकसित करने की योजना बना चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें चौपाटी शिफ्टिंग के बारे में नगर निगम या प्रशासन से कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली थी, इसी वजह से रेलवे ने नोटिस जारी किया है और जमीन पर कब्जा हटाने की मांग की है।
चौपाटी का विरोध और नालंदा-2 का निर्माण
रायपुर में लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च कर चौपाटी का विकास किया गया था, जिसका पूर्व विधायक राजेश मूणत ने विरोध किया था। 2023 में भाजपा सरकार आने के बाद चौपाटी को हटाने और वहां नालंदा-2 बनाने की योजना पर तेजी से काम शुरू हुआ।
नवंबर 2025 में नगरीय प्रशासन ने नालंदा-2 के लिए टेंडर पूरे होने की जानकारी दी और 15 नवंबर से चौपाटी शिफ्टिंग की तारीख घोषित की। लेकिन, इससे पहले ही रेलवे ने 32 दुकानदारों को नोटिस भेजकर इस जमीन पर अपना दावा जता दिया।