ग्राम सभा कानून का खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा वन विभाग, बिना सहमति से हो रहा कूप कटाई,संजय नेताम

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*पूरन मेश्राम/गरियाबंद*।

आदिकाल से जल जंगल जमीन के सामूहिक सुरक्षा

के लिए नदी नालों जंगलों के बीच रहने वालों मे आदिवासियों का नाम पहले आता है। क्योंकि जहां-जहां आदिवासी लोग हैं। वहां वहां जल, जंगल, जमीन, नदी, नाला, खनिज संपदा सब देखने को मिलता है। आपसी सहमति के साथ वर्षों से जंगलों की सुरक्षा करते हुए अमूल्य धरोहर को बचा कर रखे हुए हैं। एक-एक पेड़ पौधों नदी नालो पहाड़ों चट्टानों से आदिवासियों का गहरा रिश्ता है आदिवासियों के देवी देवता इन्हीं जगहो पर अनादि काल से विद्यमान है।न्यायपालिका ने भी जल जंगल जमीन के रक्षक के रूप में आदिवासियों को माना है। खास करके पांचवी अनुसूची क्षेत्रो मे जल जंगल जमीन के संरक्षण और संवर्धन का सम्पूर्ण अधिकार मिला है।ऐसा कोई भी कार्य नहीं होगा जो उनके हित में नहीं है।पेसा,एफ. आर. ए. कानून भी यही कहता है। बावजूद वन विभाग के द्वारा खुलेआम नियमों के धज्जियां उड़ाते हुए कूप कटाई के माध्यम से बेशकीमती पेड़ों की कटाई किया जाना सरासर कानून का उल्लंघन है।ऐसा आरोप जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने लगाया है।आगे प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दिया है कि रायपुर देवभोग मार्ग जहां हीरा खदान का इलाका उस तरफ सामान्य वन मंडल पक्की सड़क के दूसरे छोर टाइगर रिजर्व का बफर जोन ऐसा आवंटन कब और कैसे किसके सहमति से वन विभाग किया समझ से परे लग रहा है। सामान्य वन मंडल के जंगलों का सामूहिक वन संसाधन अधिकार ग्राम सभा को दिया मगर सरहदी गांव से सहमति कब और कैसे लिया ये भी अबूझ पहेली है। कूप कटाई के पहले सरहदी ग्राम सभाओं से सहमति कब और कैसे लिया गया है। नफा नुकसान कितना होगा इस पर चर्चा किस हद तक किया गया है ।जिले के मैनपुर क्षेत्र अंतर्गत राजापड़ाव के आसपास जंगलों में वन विभाग द्वारा कूप कटिंग के नाम पर हरे-भरे पेड़ों की मनमानी कटाई किए जाने का गंभीर मामला सामने आया है।इसे लेकर जिला पंचायत सदस्य संजय नेताम ने 14 नवम्बर शुक्रवार को कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपकर तत्काल कार्यवाही की मांँग की है।संजय नेताम मौके पर पहुंँचे और वहां कार्यरत ग्रामीणों से चर्चा की। उन्होंने ग्रामीणों से कहा आप ही इस जल-जंगल-ज़मीन के असली मालिक हैं।

किसी विभाग को आपके हक से दूर रखकर निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।

यह संपूर्ण क्षेत्र पेसा कानून एवं संविधान की पांचवीं अनुसूची के संरक्षण में है। ग्रामसभा सर्वोच्च इकाई है उसके निर्णय के बिना कोई पेड़ नहीं काटा जा सकता और न ही संसाधन बेचा जा सकता है। विभाग स्थानीय लोगों को गुमराह कर नियमों का उल्लंघन कर रहा है।नेताम ने अपने ज्ञापन में प्रमुख मांँगें रखी हैं।

पहले किए गए सभी कूप कटिंग का आर्थिक व लकड़ी का पूरा हिसाब ग्रामसभा को दिया जाय आगे से किसी भी प्रकार का कार्य ग्रामसभा की अनुमति से ही हो।

ग्रामीणों के अधिकारों की रक्षा हेतु जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए

संजय नेताम ने स्पष्ट कहा जो जंगल हमारे पूर्वजों ने बचाया, वही हमारी आने वाली पीढ़ियों की ताकत है।

हम अपने अधिकारों से समझौता नहीं करेंगे।बड़ी विडंबना है।आजादी के अमृत कल व छत्तीसगढ़ के रजत वर्ष पूर्ण होने के बाद भी वनांचल क्षेत्र के रहवासियों को मूलभूत सुविधा व संवैधानिक अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।