छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछा कि ऐसी कौन-सी जांच बची है, जो अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इस जांच को पूरा करने के लिए कितने समय की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ED से पूछा कि एक तरफ कहते हो कि शराब घोटाले के आरोपियों को बेल नहीं देनी है, दूसरी तरफ कहते हो कि हम जांच कर रहे हैं। तो ऐसी कौन-सी जांच है, जो अभी तक चल रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने ED को आदेश दिया है कि जांच अधिकारी अपना पर्सनल एफिडेविट दाखिल करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ अभी कौन-सी जांच चल रही है। इस जांच को पूरा करने के लिए कितने समय की जरूरत है।
ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया था, फिर EOW ने भी गिरफ्तारी की। कवासी लखमा 10 महीने से जेल में बंद हैं। लखमा की तबीयत बिगड़ गई है। कांग्रेस ने कहा कि जल्द से जल्द कवासी लखमा का इलाज कराया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों की सुरक्षा स्थायी की
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में आबकारी विभाग के अधिकारियों को पहले दी गई अंतरिम गिरफ्तारी सुरक्षा को स्थायी कर दिया। कोर्ट ने यह आदेश उन मामलों की सुनवाई के दौरान दिया, जिनमें अधिकारियों पर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की पीठ ने यह फैसला सीनियर एडवोकेट एस. नागमुथु और सिद्धार्थ अग्रवाल (याचिकाकर्ताओं की ओर से) और सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी और एएसजी एस.डी. संजय (राज्य और ED की ओर से) की दलीलें सुनने के बाद सुनाया।
अब जानिए क्यों हुई कवासी लखमा की गिरफ्तारी ?
ED का आरोप है कि पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। इनसे शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। वहीं, शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कवासी लखमा के इशारे पर छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। ED का दावा है कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
कमीशन के पैसे से बेटे का घर बना, कांग्रेस भवन निर्माण भी
ED के वकील सौरभ पांडेय ने कोर्ट में बताया था कि 3 साल शराब घोटाला चला। लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। इस दौरान 36 महीने में लखमा को 72 करोड़ रुपए मिले। ये राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में लगे।
ED ने कहा था कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। शराब सिंडिकेट के लोगों की जेबों में 2,100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई भरी गई। नेता, कारोबारी और अधिकारियों ने जमकर अवैध कमाई की।
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।