दो दिन पहले मिला नोटिस
निगम कार्यालय का घेराव करने पहुंची महिलाओं ने बताया कि उन्हें दो दिन पहले घर खाली करने और कोनी स्थित अटल आवास में शिफ्ट होने का नोटिस दिया गया है। उनका कहना है कि यह आवास 5 किलोमीटर दूर है और जर्जर हालत में है।
महिलाओं ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि वे आस-पड़ोस के घरों में झाड़ू-पोंछा जैसे काम करके गुजारा करती हैं। इतनी दूर और जर्जर आवास में शिफ्ट होने से उनकी आजीविका प्रभावित होगी।
महापौर ने दिया आश्वासन
प्रभावित महिलाओं ने महापौर पूजा विधानी से मुलाकात का जिक्र करते हुए शिकायत की। उनके अनुसार, महापौर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी सुविधा के अनुसार नजदीक के मकान में शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि, अब उन्हें बहुत दूर भेजा जा रहा है।
महिलाओं ने यह भी बताया कि चार महीने बाद बच्चों की परीक्षाएं हैं और इस तरह अचानक स्थानांतरण से उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी।
प्रभावित महिलाओं ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी कीमत पर कुदुदंड का अपना मकान खाली नहीं करेंगी। उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी कि या तो उन्हें उस्लापुर या अशोक नगर में रहने लायक पक्का मकान उपलब्ध कराया जाए, अन्यथा वे आंदोलन के लिए तैयार हैं।
42 लोगों को मकान आबंटित करने का दावा
बिलासपुर स्मार्ट सिटी के मैनेजर एसपी साहू ने बताया कि कुदुदंड बैराज के डुबान क्षेत्र में रहने वाले 42 परिवारों को कोनी स्थित आवास आबंटित कर दिया गया है। म
हिलाओं की इस शिकायत पर कि पंजीयन के लिए उन्हें दो अलग अलग पत्र दिए गए हैं, जिसमें किसी में 3 तो किसी में 5 हजार पंजीयन शुल्क मांगा गया है।
उन्होंने कहा कि आईएचएस़डीपी आवास के लिए 3 हजार का शुल्क निर्धारित है। 5 हजार का शुल्क प्रधानमंत्री आवास के लिए है, जिसका पंजीयन 3 साल पुराना है।
बिलासपुर में अरपा बैराज के डुबान क्षेत्र से प्रभावित कुदुदंड की महिलाओं ने नगर निगम का घेराव किया। 17 नवंबर को उन्होंने कोनी स्थित जर्जर अटल आवास में शिफ्ट होने से इनकार कर दिया। महिलाओं ने सवाल उठाया कि यदि खस्ताहाल मकान में कोई जनहानि होती है, तो इसकी जिम्मेदारी महापौर या आयुक्त में से कौन लेगा?
यह मामला तीन महीने पहले शिवघाट बैराज में अचानक पानी भरने के ट्रायल से जुड़ा है। इस दौरान अरपा के तटवर्ती कुदुदंड क्षेत्र की गली नंबर 1, 2, 3 और 4 के बीसियों घरों में पानी भर गया था। पिछले 25-30 सालों से रह रहे इन परिवारों का गृहस्थी का सामान, अनाज, फर्नीचर और कपड़े खराब हो गए थे।
प्रभावितों ने जल संसाधन विभाग द्वारा बिना मुनादी कराए बैराज में पानी भरने पर आपत्ति जताते हुए कलेक्टर से शिकायत की थी। इसके बाद प्रभावितों के पुनर्वास का मुद्दा उठाया गया।