छत्तीसगढ़ शराब घोटाले मामले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को इलाज के लिए रायपुर के अंबेडकर अस्पताल लाया गया था। यहां उनकी आंखों का चेकअप हुआ। जांच के बाद उन्हें फिर से सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। लखमा का इलाज सुरक्षित तरीके से हो, इसके लिए शासन ने उनके साथ पुलिस बल की व्यवस्था भी की थी।
कांग्रेस ने जेल में बंद कवासी लखमा के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। पूर्व विधायक विकास उपाध्याय और कुलदीप जुनेजा ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम से मुलाकात की थी। कवासी लखमा को तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराने की मांग की थी। बता दें कि पूर्व मंत्री लखमा पिछले 10 महीने से जेल में बंद हैं।
लखमा को बाहर इलाज की अनुमति नहीं
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि कवासी लखमा वरिष्ठ मंत्री और 6 बार के विधायक रहे हैं, फिर भी उनके इलाज में लापरवाही की जा रही थी। सरकार पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रही है।
कांग्रेस पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी हुई थी। जेल अस्पताल लखमा को इलाज के लिए बाहर रेफर किया है। लेकिन उनको जेल के बाहर अस्पताल नहीं ले जाया जा रहा था।
शराब घोटाले में जेल में बंद हैं लखमा
बता दें कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शराब घोटाला मामले में 15 जनवरी 2025 को गिरफ्तार किया था। फिलहाल, वे रायपुर के सेंट्रल जेल में बंद हैं।
अब जानिए क्यों हुई लखमा की गिरफ्तारी
ED का आरोप है कि पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे। लखमा के निर्देश पर ही सिंडिकेट काम करता था। इनसे शराब सिंडिकेट को मदद मिलती थी। वहीं, शराब नीति बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कवासी लखमा के इशारे पर छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत हुई। ED का दावा है कि लखमा को आबकारी विभाग में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी, लेकिन उन्होंने उसे रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
कमीशन के पैसे से बेटे का घर बना, कांग्रेस भवन निर्माण भी
ED के वकील सौरभ पांडेय ने कोर्ट में बताया था कि 3 साल शराब घोटाला चला। लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए मिलते थे। इस दौरान 36 महीने में लखमा को 72 करोड़ रुपए मिले। ये राशि उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में लगे।
ED ने कहा था कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले से सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। शराब सिंडिकेट के लोगों की जेबों में 2,100 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध कमाई भरी गई। नेता, कारोबारी और अधिकारियों ने जमकर अवैध कमाई की।
जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
A, B और C कैटेगरी में बांटकर किया गया घोटाला
A: डिस्टलरी संचालकों से कमीशन
2019 में डिस्टलरी संचालकों से प्रति पेटी 75 रुपए और बाद के सालों में 100 रुपए कमीशन लिया जाता था। कमीशन को देने में डिस्टलरी संचालकों को नुकसान ना हो, इसलिए नए टेंडर में शराब की कीमतों को बढ़ाया गया। साथ ही फर्म में सामान खरीदी करने के लिए ओवर बिलिंग करने की राहत दी गई।
B: नकली होलोग्राम वाली शराब को सरकारी दुकानों से बिकवाना
डिस्टलरी मालिक से ज्यादा शराब बनवाई। नकली होलोग्राम लगाकर सरकारी दुकानों से बिक्री करवाई गई। नकली होलोग्राम मिलने में आसानी हो, इसलिए एपी त्रिपाठी के माध्यम से होलोग्राम सप्लायर विधु गुप्ता को तैयार किया गया। होलोग्राम के साथ ही शराब की खाली बोतल की जरूरत थी।
खाली बोतल डिस्टलरी पहुंचाने की जिम्मेदारी अरविंद सिंह और उसके भतीजे अमित सिंह को दी गई। खाली बोतल पहुंचाने के अलावा अरविंद सिंह और अमित सिंह को नकली होलोग्राम वाली शराब के परिवहन की जिम्मेदारी भी मिली।
सिंडिकेट में दुकान में काम करने वाले और आबकारी अधिकारियों को शामिल करने की जिम्मेदारी एपी त्रिपाठी को सिंडिकेट के कोर ग्रुप के सदस्यों ने दी।