छत्तीसगढ़ के इनामी नक्सली माड़वी हिड़मा के एनकाउंटर के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के इनामी नक्सली माड़वी हिड़मा के एनकाउंटर के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति गरमा गई। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। इससे वे विवाद के केंद्र में आ गए। दिग्विजय ने आदिवासी एक्टिविस्ट सोनी सोढ़ी का एक वीडियो शेयर किया, जिसमें सोनी एनकाउंटर को फर्जी बता रही हैं। इसमें कहा है कि ‘यह एनकाउंटर नहीं, हत्या थी।’

 

सोढ़ी के वीडियो को शेयर करने पर BJP ने हमला तेज कर दिया। सांसद आलोक शर्मा ने कहा- राष्ट्र के लिए जो सैनिक शहीद होते हैं, उनके लिए दिग्विजय कुछ नहीं कहते। उनका बयान हमेशा आतंकवादियों के पक्ष में ही क्यों होता है? जनता सब जानती है, इसलिए उनकी पूरी पार्टी को चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ रहा है।

 

वहीं, कालापीपल से BJP विधायक घनश्याम चंद्रवंशी ने दिग्विजय पर आरोप लगाया कि एमपी के नरसिंहपुर के इंस्पेक्टर आशीष शर्मा शहीद हो गए… दिग्विजय सिंह ने उनके लिए संवेदना भरा एक शब्द नहीं कहा, लेकिन हिड़मा जैसे खूंखार नक्सली के लिए सवाल उठा रहे हैं। कम से कम संवेदना के तौर पर उनको श्रृद्धांजलि अर्पित कर देते। दिग्विजय बोले– मैं हिंसा के खिलाफ, पर असली मुद्दा कुछ और है

दिग्विजय सिंह ने खुद को नक्सली हिंसा का विरोधी बताते हुए सोशल मीडिया पर लिखा– समझौते कर आत्मसमर्पण कराना चाहिए। मैं उसके पक्ष में हूं। विषय कुछ और है। उन्हें सामाजिक आर्थिक रूप से मेनस्ट्रीम में लाया जाना चाहिए। आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक अधिकार छिने हैं। देश के सभी शेड्यूल एरिया विशेष कर बस्तर संभाग आदिवासी क्षेत्र में भारत सरकार पेसा एक्ट (PESA) कानून लागू करना चाहिए।

 

दिग्विजय ने एसआईआर को लेकर सवाल किया कि क्या नक्सल क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के पास वो दस्तावेज होंगे, जिनसे वे मतदाता सूची में शामिल हो सकें? अब उनकी नागरिकता खतरे में है। क्योंकि जिसका मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़ा वो तो इस देश का नागरिक ही नहीं बचा। प्रश्न ये है, जिन पर सभी राजनीतिक दलों को ध्यान देना चाहिए। भाजपा आदिवासी हितों की कभी समर्थक नहीं रही। सोनी सोढ़ी का दावा– यह एनकाउंटर नहीं, हत्या थी

दिग्विजय ने जो वीडियो शेयर किया उसमें बस्तर की एक्टिविस्ट सोनी सोढ़ी कहती दिख रही हैं कि यह मुकाबला नहीं, सीधी हत्या थी। घटनास्थल और पुलिस की टाइमलाइन में तालमेल नहीं है। हिड़मा समेत 6 लोगों को पकड़कर मारा गया। वे कोर्ट जाएंगी और जांच कमेटी बिठाएंगे। उन्होंने हिड़मा को बस्तर का दूसरा गुंडाधुर बताया। सोनी ने यह भी कहा कि स्थानीय ग्रामीणों का दावा है वहां नक्सली थे ही नहीं, आदिवासियों को गोली मारी गई।

 

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हिड़मा 3 लेयर सुरक्षा में रहता था। अब इतना बड़ा कैडर होने के बाद सिर्फ 6 लोगों का एनकाउंटर कैसे हुआ? इससे साफ हो रहा है कि यह सीधी तौर पर हत्या है।