छत्तीसगढ़ के धमतरी में शिक्षक साझा मंच ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ के धमतरी में शिक्षक साझा मंच ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने युक्तिकरण सूची में धांधली का आरोप लगाया है।

शिक्षक साझा मंच के सदस्य डीईओ कार्यालय पहुंचे। वे युक्तिकरण सूची से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना चाहते थे। प्रशासन ने कार्यालय के मुख्य द्वार पर दो स्तरों में बैरिकेड लगा रखे थे। शिक्षकों ने बैरिकेड को पार कर कार्यालय तक पहुंचने का प्रयास किया। पुलिस ने उन्हें कार्यालय के बाहर रोक दिया। इसके बाद शिक्षकों ने वहीं बैठकर प्रदर्शन शुरू कर दिया।

प्रदर्शनकारियों ने जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने सूची को निरस्त करने की मांग की। मौके पर जिला शिक्षा अधिकारी को बुलाया गया। शिक्षकों ने उनके सामने अपनी शिकायतें रखीं। हालांकि, शिक्षकों की मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद शिक्षक कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए।

युक्तियुक्तकरण सूची में अनियमितता का आरोप, शिक्षक मंच ने की जांच की मांग

शिक्षक साझा मंच के प्रतिनिधि शैलेन्द्र कौशल ने आरोप लगाया है कि जिले में जारी युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में जारी की गई सूची में 67 शिक्षकों के नाम शामिल थे, जिस पर जिला कलेक्टर के हस्ताक्षर भी मौजूद थे। यह सूची काउंसलिंग तिथि से पहले जारी की गई थी।

कौशन ने कहा, काउंसलिंग वाले दिन सुबह एक नई सूची जारी की गई, जिसमें 20 शिक्षकों के नाम हटा दिए गए। यह नई सूची जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी की गई थी। आश्चर्यजनक रूप से हटाए गए नामों को लेकर आज तक कोई स्पष्ट कारण या दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। न ही इन शिक्षकों को अपात्र घोषित किया गया और न ही पात्रता को लेकर कोई सूचना दी गई।

कौशल ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में बड़ी धांधली हुई है। उन्होंने कहा कि कलेक्टर की स्वीकृति वाली सूची को बदलकर शिक्षा अधिकारी ने अपने स्तर पर मनमानी की है। उन्होंने धमतरी जिले में जारी की गई सूची को गलत बताते हुए इसे तत्काल रद्द करने और युक्तियुक्तकरण की पूरी प्रक्रिया को नए सिरे से निष्पक्ष रूप से शुरू करने की मांग की है। साथ ही, जिला शिक्षा अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की भी मांग की गई है।

उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया के चलते लगभग 30 से 40 शिक्षकों को अन्यत्र भेजकर उनका वेतन रोक दिया गया है।

जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कोई टिप्पणी देने से इनकार कर दिया।