छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन से 2 मिशनरी सिस्टर्स की गिरफ्तारी के खिलाफ सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल दुर्ग जेल पहुंचा। जेल में बंद कैथोलिक नन वंदना फ्रांसिस और प्रीति मेरी से मुलाकात की। इस दौरान सांसद सप्तगिरि उल्का ने कहा कि सत्यता जानने के लिए आए थे। सिस्टर्स को केस में फंसाया गया है। सदन में आवाज उठाएंगे।
उल्का ने कहा कि पुलिस ने सिस्टर्स की वेशभूषा देखकर बजरंग दल के लोगों को फोन कर दिया। बजरंग दल ने रेलवे स्टेशन में आकर बेवजह हंगामा मचाया। जबरदस्ती धर्मांतरण और मानव तस्करी का आरोप लगाकर इनको फंसाने की कोशिश की जा रही है। CM से मुलाकात करेंगे। पूरी सत्यता सदन में रखेंगे। कोर्ट तक जाएंगे।
वहीं माकपा नेता वृंदा करात ने कहा कि मुख्यमंत्री का काम लॉ एंड ऑर्डर का है, लेकिन धर्मांतरण और मानव तस्करी पर झूठ बोल रहे हैं। गरीब आदिवासी लड़के को पीटा गया, उसे पीटने वालों को जेल में डालना चाहिए था, लेकिन ननों को जेल में डाल दिया। जिनको जेल में डाला, उसमें एक नर्स और एक फार्मासिस्ट है। ये महिलाओं की बेइज्जती है।
पूर्व CM भूपेश बघेल ने कहा कि सांसद प्रतिनिधिमंडल संसद सत्र छोड़कर मिलने आए थे, लेकिन मिलने से रोका गया। यह बीजेपी की अल्पसंख्यकों के खिलाफ रणनीति है। अल्पसंख्यकों को टारगेट करो, ताकि वह संख्या वोट को केंद्रीकरण किया जा सके। ननों को जबरन फंसाया गया है।
अब जानिए किस सांसद ने क्या क्या कहा ?
सांसद बेनी बेहनन ने कहा कि हमने जेल में बंद दोनों सिस्टर्स से विस्तार से चर्चा की। वे युवतियों को नौकरी के लिए आगरा, शहडोल और एक अन्य स्थान पर ले जा रही थीं, लेकिन गलतफहमी पैदाकर धर्मांतरण और मानव तस्करी का आरोप लगाकर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दबाव बनाया।
उन्होंने कहा कि यह सब पुलिस ने नहीं किया, बल्कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने किया है। क्या यही लॉ एंड ऑर्डर है। पुलिस के संरक्षण में बजरंग दल ने सब किया है। हम सब यह मुद्दा संसद में उठाने जा रहे हैं। सिस्टर्स के साथ बहुत गलत हुआ है। सरकार ने गलत कार्रवाई की है।