बलरामपुर जिले के चलगली थाना क्षेत्र में फर्जी वन अधिकार पट्टा बनाकर धोखाधड़ी करने के मामले का खुलासा हुआ है। अंबिकापुर निवासी एक युवक 20-20 हजार रुपये लेकर फर्जी वन अधिकार पत्र बनाता था। पुलिस ने मुख्य आरोपी के एक सहयोगी एवं फर्जी वन अधिकार पट्टा बनाने में शामिल रहे दो युवकों को पकड़ा है। पकड़े गए दो युवकों ने स्वयं एवं रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी वन अधिकार पत्र बनवाया था।
जानकारी के मुताबिक, चलगली क्षेत्र में पदस्थ वनपाल अनिल कुजूर को ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम अमरावतीपुर के विपिन किशोर कुजूर, ग्राम मुरका के सुरेन्द्र आयम, ग्राम शिवरी बरतीकला के अधिनाश दुबे तथा अंबिकापुर के कुन्जन रजक उर्फ एक्का सर ने मिलकर वन परिक्षेत्र की वनभूमि का फर्जी तरीके से वन अधिकार पत्र बनाया है एवं वितरण कर रहे हैं। इसकी पुष्टि होने पर अनिल कुजूर ने चलगली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई।
20-20 हजार रुपये लेकर बनाया पट्टा वनपाल अनिल कुजुर ने विपिन किशोर कुजूर, सुरेन्द्र आयम, अविनाश दुबे को बुलवाकर पूछताछ की तो अविनाश दुबे ने बताया कि कुन्जन रजक उर्फ एक्का सर, विपिन किशोर कुजूर और सुरेन्द्र गोंड़ के द्वारा फर्जी वन अधिकार पट्टा बनाया गया है। उसे मोबाइल के जीपीएस से नक्शा निर्धारित करने का काम दिया गया था। इसके लिए उसे प्रतिदिन पांच सौ रुपये मिले।
विपिन किशोर कुजूर ने बताया कि उसकी एक वर्ष पूर्व में पहचान कुन्जन रजक उर्फ एक्का सर से हुई थी। उसने बताया कि वह वनभूमि का फर्जी वन अधिकार बनाता है। उसके झांसे में आकर विपिन किशोर कुजुर ने अपनी पत्नी, सास, ससुर, मामा, बहन एवं स्वयं के नाम पर फर्जी वन अधिकार पत्र बनवा लिए। उसने प्रत्येक फर्जी अधिकार पत्र के लिए 20-20 हजार रुपये कुन्जन रजक को दिया।
एक अन्य आरोपी सुरेन्द्र आयाम ने बताया कि विपिन कुजूर और कुन्जन रजक उर्फ एक्का सर से मिलकर उसने अपनी पत्नी के नाम पर 1.20 हेक्टेयर जमीन का वन अधिकार पत्र एवं वन अधिकार पत्र पुस्तिका फर्जी तरीके से बनवाया है। इसके लिए उसने कुन्जर कुमार रजक को 20 हजार रुपये दिया था। आरोपियों ने कुल 29 एकड़ वनभूमि का फर्जी पट्टा बनाया है।
मुख्य आरोपी बंद है ओडिशा जेल में पुलिस ने मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। फर्जीवाड़े का मुख्य आरोपी कुन्जन कुमार रजक एनडीपीएस के एक मामले में ओडिशा के जेल में बंद है। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों के खिलाफ धारा 318(4), 336(3), 338, 3(5) बीएनएस के तहत कार्रवाई की है।