प्रतियोगिता 24 जुलाई को शुरू हुई और 28 अगस्त को समाप्त हुई। बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल ने ओलंपिक की परंपरागत शपथ “मुझे जीतने दो, लेकिन अगर मैं जीत नहीं सकता, तो मुझे प्रयास में बहादुर होने दो” के साथ चैंपियनशिप का उद्घाटन किया।
विधायक अग्रवाल ने कहा कि इस तरह के समावेशी आयोजन से विशेष बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का अवसर मिलता है। यह उनकी प्रतिभा और आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि खेल एक ऐसा माध्यम है जिसमें खिलाड़ी सिर्फ हारते या जीतते नही हैं, बल्कि एक-दूसरे से जुड़ते भी हैं।
पांच दिवसीय इस आयोजन में सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर वर्गों के सिंगल्स, डबल्स और यूनिफाइड मुकाबले हुए। यूनिफाइड गेम्स की विशेषता यह रही कि इनमें सामान्य और दिव्यांग खिलाड़ी साथ मिलकर खेले। इससे समावेशिता और आपसी समझ को बढ़ावा मिला।
इन्होंने किया खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन
खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करने कलेक्टर संजय अग्रवाल, निगम कमिश्नर अमित कुमार, जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल, समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक टीपी भावे और शहीद हेमचंद यादव यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार भूपेन्द्र कुलदीप पहुंचे। कार्यक्रम में डॉ. एच.एस. होता, डॉ. के.के. शर्मा और लायंस क्लब के वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल रहे।
सिमरन और सौम्या की जोड़ी का शानदार प्रदर्शन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर की सिमरन पुजारा और सौम्या तिवारी की जोड़ी ने यूनिफाइड सीनियर कैटेगरी में शानदार प्रदर्शन करते हुए दो स्वर्ण पदक अपने नाम किए। अन्य प्रमुख विजेताओं में दिल्ली, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और बिहार के खिलाड़ी शामिल रहे। प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों के लिए हेल्थ चेकअप, डेंटल शिविर और पोषण परामर्श की व्यवस्था की गई।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि शहीद नंदकुमार पटेल विश्वविद्यालय रायगढ़ के कुलपति डॉ. एल.पी. पटेरिया रहे। उन्होंने आयोजन को अनुशासन, विविधता और एकता का प्रतीक बताया। डॉ. होता ने इन विशेष बच्चों को ईश्वर की अनुपम कृति बताते हुए ऐसे आयोजन को नियमित रूप से करने की आवश्यकता बताई।