विभागीय जांच में आरोपी अधिकारियों के खिलाफ गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। जिसके बाद विभाग जल्द ही कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। निगम के आला अधिकारियों ने दफ्तर में बैठकर फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपी एक या दाे नहीं, बल्कि 10 सालों से भी ज्यादा समय इस फर्जी काम को अंजाम दे रहे थे।
जिस आर्किटेक्ट के नाम से घोटाला उसका अस्तित्व नहीं
नगर निगम के मुताबिक, आरोपी अफसरों ने आर्किटेक्ट विकास सिंह के नाम से इस पूरे फर्जीवाड़े को अंजाम दिया है। इंजीनियर विकास सिंह बिलासपुर निगम से लाइसेंस क्रमांक 234 के माध्यम से पंजीकृत है।
विकास सिंह के लाइसेंस नंबर पर जो मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड है, वो गिरनानी नाम के व्यक्ति है। निगम के अधिकारियों ने जब जांच का दायरा बढ़ाया, तो पता चला कि आर्किटेक्ट विकास सिंह के नाम पर नक्शा पास कराने का काम नगर निगम में 10 जुलाई 2015 से शुरू हुआ, जो जून 2025 तक जारी है।
इस तरह सामने आया घोटाला
13 मई 2025 को पुराना बस स्टैंड स्थित महुआ होटल में नगर निगम ने अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया। यह कार्रवाई नक्शे के विपरीत किए गए निर्माण को हटाने के लिए की गई। निगम के अधिकारियों ने बताया कि, होटल का नक्शा रामचंद्र लालचंदानी, दौलतराम चौधरी और महक आहूजा के नाम पर पास हुआ था।
तीनों ने भवन अनुज्ञा की शर्तों का उल्लंघन किया। ओपन स्पेस और पार्किंग के लिए निर्धारित जगह पर अवैध निर्माण कर दिया। इस प्रोजेक्ट को सुपरविजन करने का शपथ पत्र आर्किटेक्ट विकास सिंह ने दिया था। निगम ने कार्रवाई के बाद जांच की और 24 जुलाई 2025 को विकास सिंह का लाइसेंस ब्लैक लिस्ट कर दिया।
जांच का दायरा बढ़ाया, तब फर्जीवाड़ा सामने आया
आर्किटेक्ट के ब्लैक लिस्ट लाइसेंस की जानकारी एसोसिएशन को हुई, तो उन्होंने विकास सिंह नाम का व्यक्ति ना होने की बात कही और निगम में लिखित जानकारी दी। एसोसिएशन से मिली जानकारी के आधार पर बिलासपुर नगर निगम के अधिकारियों ने जांच की, ताे पूरे फर्जीवाड़े की पोल खुल गई।
एक ही दिन में 29 फाइलों को स्वीकृति
नक्शों के अलावा, विकास सिंह के नाम पर 150 से अधिक ले-आउट भी पास कराए गए हैं। यह काम टाउन एंड कंट्री प्लानिंग और नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं लगता। बताया जा रहा है कि टीएंडसीपी के एक अधिकारी की पकड़ इतनी मजबूत थी कि एक ही दिन में 29 फाइलों को स्वीकृति दिला दी गई।