छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू न करने के आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू न करने के आदेश के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जब एकल पीठ ने अवमानना कार्रवाई शुरू करने से मना कर दिया है, तो उसके खिलाफ अपील का सवाल ही नहीं उठता।

न्यायमूर्ति संजय कुमार अग्रवाल और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने कहा कि धारा 19(1)(ए) अवमानना अधिनियम, 1971 के तहत सुनवाई योग्य नहीं है। यह आदेश शैलेन्द्र ज्ञानचंदानी द्वारा दायर अपील पर सुनाया गया, जिन्होंने धमतरी के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग की थी।

यह है पूरा मामला

धमतरी के रहने वाले शैलेन्द्र ज्ञानचंदानी ने आरोप लगाया था कि धमतरी के तत्कालीन पुलिस अधिकारी एसपी आंजनेय वैष्णव, सीएसपी नेहा पवार, थाना प्रभारी राजेश मरई और अमित बघेल ने सुप्रीम कोर्ट के अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य (2014) के आदेशों की अवहेलना करते हुए गिरफ्तारी की प्रक्रिया में अवमानना की है।

उन्होंने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर कार्रवाई की मांग की थी, जिसे एकल पीठ ने 21 अक्टूबर 2024 को खारिज कर दिया और अवमानना कार्रवाई शुरू करने से मना कर दिया था।

ये दलीलें दी गई थीं

अपीलकर्ता के वकील ने डिवीजन बेंच में तर्क दिया कि एकल पीठ द्वारा कार्रवाई न शुरू करने का आदेश कानूनी त्रुटि है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की स्पष्ट अवहेलना हुई है, जिसके बावजूद एकल पीठ ने अवमानना की कार्रवाई प्रारंभ नहीं की, जो न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है।

अवमानना कार्रवाई नहीं, तो अपील सुनवाई योग्य नहीं- हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 19(1)(ए) के अनुसार अपील केवल तभी सुनवाई योग्य होती है, जब हाई कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र में रहते हुए अवमानना के लिए दंडित करता है। जब एकल पीठ ने अवमानना कार्रवाई प्रारंभ करने से ही इंकार कर दिया है, तो यह आदेश धारा 19(1)(ए) के तहत अपील योग्य नहीं है।

यह अपील प्रारंभिक स्तर पर ही अपात्र है और प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने की आवश्यकता नहीं है। डिवीजन बेंच ने यह कहते हुए अपील को खारिज कर दिया कि, कानूनन यह अपील सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि अवमानना अधिनियम के तहत यह केवल दंडादेश के खिलाफ ही दाखिल की जा सकती है। यहां अवमानना कार्रवाई की ही अस्वीकृति हुई है, जो अपील योग्य नहीं है।