छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। ED के मामलों को लेकर लगाई अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को सुनने से इनकार कर दिया, वहीं दूसरी याचिका पर सुनवाई 6 अगस्त को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि दोनों ने एक ही याचिका में PMLA के कई सेक्शन को चुनौती देने के साथ-साथ जमानत जैसी व्यक्तिगत राहत की मांग भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि- ‘जब किसी मामले में कोई प्रभावशाली व्यक्ति शामिल होता है तो वो सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख करता है।
यदि हम ही सब केस सुनेंगे तो बाकी अदालतें किस लिए हैं। अगर ऐसा ही होता रहा तो फिर आम आदमी कहां जाएंगे। एक साधारण आदमी और वकील के पास पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट में कोई स्पेस ही नहीं बचेगा।’
बेटे चैतन्य की रिमांड 14 दिन बढ़ी
वहीं शराब घोटाला केस में रायपुर जेल में बंद भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की रिमांड फिर बढ़ गई है। चैतन्य को 18 अगस्त तक 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है। 14 दिन की रिमांड खत्म होने के बाद चैतन्य को सोमवार को ED की विशेष कोर्ट में पेश किया गया था।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के शराब, कोयला घोटाला और महादेव सट्टा ऐप मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी जांच के दायरे में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED), आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) मामले की जांच कर रही है।
गिरफ्तारी से बचने भूपेश बघेल ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉय-माल्या बागची की बेंच में सुनवाई हुई। भूपेश बघेल की ओर 2 अलग-अलग अग्रिम जमानत याचिका लगाई गई थी। जिसमें एक ED और उसके उप निदेशक के खिलाफ है। वहीं, दूसरी याचिका CBI, छत्तीसगढ़ राज्य और उत्तर प्रदेश राज्य के खिलाफ है।