छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में एक हथनी ने बच्चे को जन्म दिया। बेबी एलिफेंट चलने-फिरने की स्थिति में नहीं था। वन अमला उसका इलाज करने की कोशिश करता रहा, लेकिन झूंड मौके पर ही डटा रहा। दो दिन बाद जब झुंड जंगल में चला गया, तब बेबी एलिफेंट को वन कार्यालय लाया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
यह घटना कोरबा वन मंडल के वन परिक्षेत्र पसरखेत की है। जानकारी के अनुसार, शुक्रवार-शनिवार की रात 20 हाथियों का झुंड मदनपुर के पास पहुंचा था। इस झुंड में एक गर्भवती मादा हाथी भी थी। उसने वहीं बच्चे को जन्म दिया। जंगल में हाथियों के पहुंचने की खबर मिलने पर वन विभाग के कर्मचारी गश्त पर थे।
19 हाथियों का झुंड था
इस दौरान उन्हें खुरीभौना जाने वाले मार्ग पर हाथियों की चिंघाड़ सुनाई दी। इसकी सूचना प्रभारी डीएफओ कुमार निशांत को दी गई। इसके बाद रेंजर देवव्रत खांडे अपनी टीम के साथ जंगल पहुंचे। उन्होंने देखा कि एक स्थान पर नर शावक पड़ा था। उसके पास ही हथनी खड़ी थी और थोड़ी दूर पर 19 हाथियों का झुंड था।
बेबी एलिफेंट को झूंड ने चारों ओर से घेर रखा था
बेबी एलिफेंट के बीमार होने की आशंका होने पर कानन पेंडारी के पशु चिकित्सक डॉ. पीके चंदन सहित स्थानीय डॉक्टरों को सूचित किया गया। हथनी और झुंड के अन्य हाथी बच्चे को छोड़कर जाने को तैयार नहीं थे। उन्होंने बेबी एलिफेंट को चारों ओर से घेर रखा था।
पोस्टमॉर्टम के बाद हुआ अंतिम संस्कार
सोमवार की सुबह हथनी अपने झुंड के साथ जंगल के भीतर चली गई। इसके बाद पशु चिकित्सकों की देखरेख में बेबी एलिफेंट को वन कार्यालय लाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। डीएफओ, एसडीओ दक्षिण और वनकर्मियों की मौजूदगी में पशु चिकित्सकों ने पोस्टमॉर्टम की कार्रवाई पूरी की। इसके बाद बेबी एलिफेंट का विधिवत अंतिम संस्कार किया गया।