सिंहदेव ने कहा कि साल 2020-21 में प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने वन विभाग से सर्वे कराने के बाद पाया था कि रामगढ़ पर्वत केते एक्सटेंशन कोल माइंस के 10 किलोमीटर के दायरे में आता है। माइंस के कारण इस ऐतिहासिक धरोहर पर संकट आ जाएगा।
सिंहदेव ने कहा कि इस खदान की वजह से लेमरू हाथी अभ्यारण के हाथियों को पलायन करना पड़ेगा, जिससे मानव हाथी द्वंद बढ़ेगा। इन गुण-दोषों के आकलन के बाद कांग्रेस की सरकार ने इस खदान को स्वीकृति देने से मना कर दिया था।
4 लाख पेड़ कटेंगे, पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप
विदेश प्रवास पर गए टीएस सिंहदेव ने वीडियो मैसेज जारी किया है। वीडियो मैसेज में सिंहदेव ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के कारण 4 लाख से अधिक पेड़ों को भी काटा जाएगा। यह कारण भी खदान को एनओसी जारी करने के खिलाफ था।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि राजस्थान सरकार की आड़ में अपने पूंजीपति मित्रों के लाभ के लिए आंकड़ों में हेराफेरी करते हुए रामगढ़ पर्वत को खदान से 11 किमी की दूरी को 10 किलोमीटर बताते हुए केते एक्सटेंशन खदान को हरी झंडी दे दी है।