छत्तीसगढ़ में बिना मान्यता संचालित प्राइवेट स्कूलों पर हाईकोर्ट ने शासन का जवाब सुनकर नाराजगी जाहिर की

Chhattisgarh Crimesछत्तीसगढ़ में बिना मान्यता संचालित प्राइवेट स्कूलों पर हाईकोर्ट ने शासन का जवाब सुनकर नाराजगी जाहिर की है। शिक्षा सचिव ने बताया कि नर्सरी स्कूलों की मान्यता का प्रावधान नहीं है। इस पर चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा- ‘अफसरों की लापरवाही के कारण नर्सरी स्कूलों में गरीब छात्रों को फ्री शिक्षा के अधिकार का हक नहीं मिल रहा है। ये बेहद दुखद है। प्राइवेट स्कूल के मालिक बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं और खुद मर्सिडीज गाड़ियों में घूम रहे हैं। बिना मान्यता वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाए’

हाईकोर्ट ने केस में शिक्षा सचिव को 13 अगस्त तक दोबारा शपथपत्र पेश करने कहा है। दरअसल, कांग्रेस नेता विकास तिवारी की लगाई जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता का आरोप है कि शिक्षा का अधिकार (RTE) के तहत एडमिशन न देना पड़े, इसलिए बिना मान्यता के नर्सरी स्कूल चलाए जा रहे हैं।

चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने पूर्व में स्कूल शिक्षा सचिव को हलफनामा के साथ बताने को कहा है कि, जब 2013 के सर्कुलर के अनुसार नर्सरी कक्षाएं भी मान्यता के दायरे में आती हैं, तो फिर बिना मान्यता स्कूल कैसे चलाए जा रहे हैं?

हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि, जब तक इन स्कूलों को मान्यता नहीं मिल जाती, तब तक वे किसी नए छात्र को प्रवेश नहीं दे सकेंगे। हालांकि, पहले से प्रवेश ले चुके छात्रों की पढ़ाई जारी रहेगी। उनका प्रवेश रद्द नहीं किया जाएगा। बिना मान्यता संचालित हो रहे निजी स्कूल नए सत्र में छात्रों को एडमिशन नहीं दे पाएंगे।

शिक्षा सचिव का जवाब- नर्सरी स्कूलों की मान्यता का प्रावधान नहीं

मंगलवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान विकास तिवारी की तरफ से एडवोकेट संदीप दुबे, मानस वाजपेयी और प्रगति कौशिक ने तर्क पेश किया। साथ ही बताया कि साल 2013 में स्कूलों की मान्यता को लेकर दिशानिर्देश दिए गए हैं। वहीं, शिक्षा सचिव की तरफ से जवाब में बताया गया कि शिक्षा विभाग में नर्सरी स्कूलों की मान्यता का कोई प्रावधान नहीं है।

चीफ जस्टिस बोले- बिना मान्यता वाले स्कूलों पर की जाए कार्रवाई

चीफ जस्टिस सिन्हा की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान राज्य शासन के जवाब पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि प्राइवेट स्कूल मालिक छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं और खुद मर्सिडीज गाड़ियों में घूम रहे हैं। छत्तीसगढ़ एक प्रगतिशील राज्य है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों कि लापरवाही के कारण नर्सरी स्कूलों में गरीब छात्रों को फ्री शिक्षा के अधिकार का हक नहीं मिल रहा है, ये बेहद दुखद है।

2013 से नर्सरी शालाओं के विनियमन होने के बावजूद भी मान्यता नहीं ले रहे हैं। जिसके कारण प्रदेश के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। हाईकोर्ट ने बिना मान्यता संचालित प्राइवेट स्कूलों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश देते हुए शिक्षा सचिव को दोबारा शपथपत्र देने कहा है। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी।