छत्तीसगढ़ में एसआई भर्ती की तरह अब आरक्षक भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। लिखित परीक्षा दिलाने वाले प्रदेश के कई जिलों के अभ्यर्थी गुरुवार को हाईकोर्ट पहुंचे। यहां हाईकोर्ट के गेट के सामने सभा कर याचिका प्रस्तुत करने पर चर्चा कर रहे थे, लेकिन उन्हें पुलिस ने हटा दिया।
जिसके बाद देर शाम सभी पुलिस ग्राउंड में जमा हुए और शुक्रवार को याचिका लगाने पर सहमति बनी। प्रतियोगियों का आरोप है कि मैरिट में आए युवाओं की जगह कम अंक पाने वालों का चयन किया गया है। वहीं, भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शी नहीं है। इससे योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए हैं।
बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप
दरअसल, प्रदेश के सभी 33 जिलों में आरक्षकों के कुल 5967 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई थी। प्रक्रिया पूरी होने के बाद 9 दिसंबर को जिला स्तर पर चयन सूची जारी की गई है। परिणाम घोषित होने के बाद से परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।
10 दिसंबर को जिला स्तर पर रणनीति बनाने के बाद हजारों युवा 11 दिसंबर को बिलासपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने अभ्यर्थियों से जिलेवार जानकारी लेकर गड़बड़ी की लिस्ट बनाई है, जिसके बाद अब वो न्याय के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाने की तैयारी कर रहे हैं। युवाओं ने शुक्रवार यानि आज याचिकाएं प्रस्तुत करने पर सहमति जताई है।
एक उम्मीदवार का नाम कई जिलों में, 5967 पद भरना असंभव
युवाओं का आरोप है कि एक कैंडिडेट का नाम 5-6 जगह आया है। लेकिन एक युवा सिर्फ एक जगह ही जॉइन करेगा, ऐसे में पूरे पद भर पाना संभव नहीं है। हालांकि यह भर्ती 2007 के राजपत्र के अनुसार हुई है, जिसके तहत एक कैंडिडेट हर जिले में फॉर्म भर सकता है।
शारीरिक परीक्षा पास करने के बाद उम्मीदवार अपनी सुविधानुसार किसी एक जिले से परीक्षा देकर वहीं जॉइन कर सकता है। अब युवाओं का कहना है कि कई स्थानों पर नाम आने की वजह से 5967 पद किसी भी हाल में नहीं भरा जा सकता।
इसका कारण यह है कि एक कैंडिडेट सिर्फ एक जगह से ही जॉइन करेगा, जबकि 4-5 जगह पद खाली रह जाएंगे। इससे योग्य उम्मीदवार चयन से वंचित रह जाएंगे।
कम अंक वालों का चयन, ज्यादा नंबर वाले बाहर
अभ्यर्थियों का आरोप है कि चयन प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है। शारीरिक परीक्षा में 200 में से 76, लिखित परीक्षा में 100 में से 60 मिलाकर कुल 136 अंक मिले हैं। लेकिन ओबीसी वर्ग से होते हुए भी मुंगेली जिले के एक अभ्यर्थी का चयन नहीं हुआ।
आरोप है कि मुंगेली से ही कई ऐसे कैंडिडेट हैं, जिनका नंबर उससे कम है, लेकिन उनका चयन सामान्य वर्ग से हो गया है। उनका आरोप है कि इस तरह की गड़बड़ी कई जिलों में सामने आई है।