देश का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन सफल :  106 घंटे से 60 फीट नीचे बोरवेल में फंसे राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला

मां की ममता, लोगों की दुआएं और 104 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाहर आया राहुल

​​​​​​​जांजगीर। जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल के लिए खोदे गए गड्ढे में फंसे हुए राहुल को करीब पांच दिन मतलब पूरे 105 घंटे बाद बोरवेल के गड्ढे से बाहर निकाल लिया गया। पांच दिन तक जिला प्रशासन, पुलिस से लेकर NDRF, सेना, SDRF सहित कई सुरक्षा संस्थानों के सैकड़ों लोग राहुल के रेस्क्यू के लिए दिन-रात प्रयास कर रहे थे।

इन पांच दिनों में राहुल की सतत निगरानी सीसीटीवी कैमरे से की जा रही थी। उसे भोजन-पानी दिया जा रहा था। उसका हौसला बनाए रखने के लिए लगातार उससे बात की जा रही थी। पांच दिन तक 60 फीट नीचे दबे रहने के कारण और गड्ढे में पानी भरे होने के कारण उसकी हालत गंभीर है। उसे बाहर लाते ही एंबुलेंस से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल भेजा गया। जांजगीर कलेक्टर जीतेंद्र शुक्ला ने बताया कि राहुल की स्थिति ठीक है। उसका मूवमेंट कम है, लेकिन वह इशारे कर रहा है।

इससे पहले सेना के जवानों ने पूरे रेस्क्यू की कमान अपने हाथ में ले ली थी। जवान ही टनल के जरिए पहले बोरवेल के गड्ढे तक और फिर राहुल तक पहुंचे। राहुल के अंदर होने के कारण रास्ते की चट्टानों को ड्रिलिंग मशीन से ना काटकर हाथों से तोड़ा गया, फिर अंदर की मिट्टी हटाई गई। ऐसा करते-करते जवान राहुल तक पहुंचे। इसके बाद रस्सी और स्ट्रैचर के सहारे खींचकर राहुल को बाहर लाया गया। उसकी गंभीर हालत को देखते हुए पहले से ही एंबुलेंस, विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम, दूसरे मेडिकल उपकरण सभी कुछ तैयार था। टनल से एंबुलेंस तक कॉरीडोर बनाया गया था और राहुल को स्ट्रैचर के जरिए ही सीधे एंबुलेंस तक लाया गया और रवाना कर दिया गया।

राहुल को बोरवेल से निकालते ही एंबुलेंस से बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जाया जाएगा। उसके गांव से बिलासपुर की दूरी करीब 112 किलोमीटर है। वैसे तो इस दूरी को तय करने में करीब तीन घंटे लगते, लेकिन प्रशासन ने इस रास्ते को ग्रीन कॉरीडोर में बदल दिया है, लिहाजा माना जा रहा है कि राहुल को डेढ़-पौने दो घंटे के समय में अपोलो अस्पताल पहुंचा दिया जाएगा। उसका इलाज रास्ते में एंबुलेंस में ही विशेषज्ञ डाक्टरों की टीम करने लगेगी।

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