डॉयल 112 पर लगा ब्रेक!

Chhattisgarh Crimesप्रदेश में इमरजेंसी सेवा के नाम पर डॉयल 112 की सेवाएं पिछले कुछ माह से बुरी तरह प्रभावित हैं। इसमें फ्लीट हेड, कॉल सेंटर हेड आदि जैसे कई पद खाली हो गए हैं। अधिकांश काम कंपनी के मुख्यालय गुड़गांव से हैंडल किया जा रहा है। इसके चलते पुलिस मुख्यालय ने डॉयल 112 के संचालन की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की आईटी कंपनी सीडेक को देने की तैयारी कर ली है। इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया है।

ड्राइवर सप्लाई करने वाली कंपनी

मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में इस पर निर्णय होगा। उल्लेखनीय है कि करीब डेढ़ साल से इसका संचालन एबीपी ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड से कराया जा रहा है, जबकि इस कंपनी को आईटी कार्य का अनुभव ही नहीं है। यह एक ड्राइवर सप्लाई करने वाली कंपनी है। वर्ष 2018 में डॉयल 112 का संचालन टाटा कंपनी को दिया गया था। उस समय एबीपी केवल ड्राइवर सप्लाई करने वाली सहयोगी कंपनी थी।

टाटा के काम छोड़ने के बाद से पुलिस मुख्यालय ने एबीपी को ही डॉयल 112 के संचालन का काम दे दिया, जबकि कोई टेेंडर कॉल नहीं किया गया। एक बार टेंडर की प्रक्रिया हुई थी, जिसमें महाराष्ट्र की कंपनी एल-1 शामिल हुई थी। बाद में फर्जी दस्तावेज लगाने का आरोप लगाकर उसका टेंडर रद्द कर दिया गया। इसके बाद से दोबारा टेंडर नहीं किया गया।

खर्च कम, बिलिंग ज्यादा

टाटा कंपनी को डॉयल 112 के संचालन में हर तीन माह में 10.19 करोड का भुगतान किया जा रहा था। सूत्रों के मुताबिक वर्तमान एबीपी कंपनी को हर माह 3.75 लाख का भुगतान किया जा रहा है। इस तरह पिछली कंपनी के मुकाबले इस कंपनी को हर तीन माह में करीब 11.25 करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं। यह पिछले से काफी अधिक है।

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में डॉयल 112 की कई ईआरवी (चौपहिया) गाड़ियां मेटेंनेंस के अभाव में नहीं चल रही हैं। उसी तरह टाइगर (दोपहिया) पूरी तरह से बंद हो गई। शहर में कहीं नजर नहीं आती है। रायपुर शहर में 52 फिक्स पॉइंट निर्धारित थे, जहां ईआरवी को तैनात किया जाता था। अब ये फिक्स पॉइंट खत्म हो गए हैं। यहां ईआरवी नजर नहीं आती है। इसी कई कॉल सेंटर, लीट आदि से जुड़े कई कर्मचारी कम हो गए हैं। इस तरह एबीपी कंपनी का खर्च काफी कम हो गया है, फिर भी उसकी बिलिंग टाटा से ज्यादा हो रही है।

बार-बार बंद हो रही सुविधाएं

डॉयल 112 फायर, एंबुलेंस और पुलिस की इमरजेंसी मदद पहुंचाती है। इसमें कई तकनीकी और आईटी से जुड़े काम होते हैं। इसके लिए महंगे साटवेयर, टूल्स और उपकरण की जरूरत रहती है। इन पर ध्यान नहीं देने से कई बार ये सुविधाएं बाधित हो रही है। पिछले दिनों कॉल करने वालों का लोकेशन बनाने वाली सेवा बाधित हो गई थी। पूरे एक दिन तक कॉल करने वालों को लोकेशन ईआरवी को नहीं मिला था। उस दौरान कॉल सेंटर वाले कर्मचारियों को कॉल करने वालों को बार-बार फोन करके पता पूछना पड़ा था।

डॉयल 112 के नाम बंदरबांट होगी बंद, सरकारी कंपनी को संचालन देने की तैयारीपुलिस मुख्यालय पिछले करीब डेढ़ साल से एबीपी कंपनी को 6-6 माह का एक्सटेंशन दे रहा है, लेकिन टेंडर प्रक्रिया नहीं करवा रहा है। बताया जाता है कि कुछ अफसरों की यही मंशा है कि 6-6 माह एक्सटेंशन होता रहे। हालांकि इस बाद पुलिस मुख्यालय में अफसरों की समिति ने सरकारी कंपनी सीडेक को देने की अनुशंसा की है।