माँ चण्डी के दरबार में चमत्कार के दो प्रसंगों की प्रत्यक्ष अनुभूति, एक को आँखों की रोशनी मिली, एक को माँ की शरण में मुक्ति

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घुँचापाली स्थित माँ चण्डी के चमत्कार के आगे हम हैं नतमस्तक!

Chhattisgarh Crimes

प्रवीण खरे

रायपुर। प्रदेश के महासमुंद जिला अंतर्गत बागबाहरा नगर से पांच किलोमीटर की दूरी पर घुँचापाली ग्राम में स्थित प्रसिद्ध तंत्रोक्त शक्तिपीठ माता चण्डी का मंदिर स्थित है। यह अंचल के लोगों की आस्था का केंद्र है तथा यह एक रमणीक स्थल भी है। पहाड़ों पर विराजमान माँ चण्डी का मंदिर स्वयंभू है और उनके चमत्कार की अनेक किंवदंतियाँ लोगों में चर्चा का विषय हमेशा बनी रहती है।

माँ चण्डी के दरबार में लोग मुरादे मांगते हैं और मां चण्डी भी उनकी मनोकामनाओं को पूरी करती हैं। माँ चण्डी के चत्मकार को मैंने प्रत्यक्ष अनुभव किया है। बागबाहरा में रहते हुए जब मैं एक रायपुर के दैनिक अख़बार के लिए बतौर संवाददाता कार्यरत था, तब मैंने मां के चमत्कार को देखा और वह भी एक नहीं, बल्कि दो चत्मकारिक घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी रहा हूं।

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मैं अपने मित्रों के साथ माँ चण्डी के दर्शन के लिए जाता रहता था। एक दिन मैं अपने मित्रों के साथ मंदिर के चबूतरे पर बैठा था, तभी हमने देखा कि कुछ लोग, जो ओड़िशा के गोतमा से थे, एक युवती को सहारा देते हुए मंदिर की तरफ बढ़ रहे थे। हमारी नज़र जैसे ही उन पर पड़ी, हमने कौतूहलवश जाकर पूछा- ‘क्या बात है, आप युवती को सहारा देकर ला रहे हैं। कोई दिक्कत है क्या?’ इस पर युवती के परिजनों ने बताया कि ‘इसे काफी साल पहले दिखना बंद हो गया है और इसकी इच्छा माँ चण्डी के दर्शन करने की हुई है। हम उसकी इच्छा पूरी करने आए हैं।’ परिजन धीरे-धीरे उसे सहारा देते हुए मंदिर की सीढ़ियों तक पहुंचे। कुछ देर वहां बैठने के बाद उन लोगों ने माँ का दर्शन किया। हमारी आंखें तब फटी रह गई, जब हमने देखा कि जिस युवती को लोग सहारा देकर दर्शन के लिए ले जा रहे थे, वह युवती दर्शन पश्चात् बिना किसी सहारे के मंदिर की सीढ़ियों से इधर-उधर देखती हुई उतर रही थी! हम आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह पाए थे।

दूसरी घटना नवरात्र के समय की है। तब रायपुर से एक परिवार दर्शन करने यहां पहुंचा था। उस परिवार के एक सदस्य की हालत काफी नाजुक थी और अपने जीवन के अंतिम समय में मां के दर्शन पश्चात् ही प्राण त्यागने की उसकी इच्छा थी। माँ ने उस भक्त की इच्छा भी पूरी की। भक्त ने मां के दर्शन पश्चात् अंतिम साँसें ली। तब मैने मां के इन दोनों चमत्कारिक प्रसंगों की खबर बनाकर भेजी थी जिसे समाचार पत्र के प्रबंधन ने भी प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था।

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