7503 क्विंटल धान गायब होने के मामले में खरीदी केंद्र के प्रबंधक और डाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर

Chhattisgarh Crimesमल्हार सेवा सहकारी समिति में 7503 क्विंटल धान गायब होने के मामले में खरीदी केंद्र के प्रबंधक और डाटा एंट्री ऑपरेटर के खिलाफ एफआईआर की जाएगी। कलेक्टर ने सहकारी संस्थाएं के उप पंजीयक को एफआईआर करवाने के निर्देश दिए हैं। मामला 2.32 करोड़ रुपए से ज्यादा के धान की कमी का है, इसलिए प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है।

मल्हार केंद्र में जांच के दौरान कई तरह की गड़बड़ियां सामने आई थीं। जांच में पता चला था कि 5267 बोरी धान में से 4497 में मानक धान था, जबकि 600 बोरी में भूसी व रेत का मिश्रण था जबकि 170 बोरी में धान व भूसी को मिलाकर रखा गया था। ऑनलाइन रिकॉर्ड के मुताबिक मौके पर 23256 बोरी धान होना था लेकिन वहां 4497 बोरी धान मिला। यानी 18759 बोरी के साथ 7503.60 क्विंटल धान कम मिला। इसकी कीमत 2 करोड़ 32 लाख 59 हजार 300 रुपए होती है। वहां 600 नए व पुराने बारदाने में धान के स्थान पर भूसी, रेत व मिट्टी रखी गई थी।

ऐसा शासन को गुमराह करने की मंशा से किया गया था। 443 बारदाने भी गायब मिले। वहीं फड़ में 600 बोरी धान खरीदी बंद होने के 13 दिन बाद भी बिना सिलाई के मिले। कलेक्टर ने बताया कि समिति प्रबंधक संतू यादव व डॉटा एंट्री ऑपरेटर देवेंद्र बंजारे ने धान खरीदी कार्य में अनियमितता करते हुए शासकीय धान की अफरा-तफरी की है। इसलिए दोनों के खिलाफ संबंधित क्षेत्र के थाने में एफआईआर दर्ज कराएं और इस बारे में सूचना भी दें।

बिरकोना के लिए पहले ही दे चुके हैं निर्देश

बिरकोना सोसायटी में 2388 क्विंटल धान शार्टेज मिला था। वहीं जब खाद्य संचालक जितेंद्र शुक्ला निरीक्षण करने आए थे तो पूर्व प्रबंधक देवारी लाल यादव नौ किसानों का टोकन लेकर वहां मौजूद थे। जांच में उन्होंने किसानों का खेत ​अधिया लेना बताया जबकि जांच में अधिया की बात साबित नहीं हुई। तब कलेक्टर ने गड़बड़ी व लापरवाही बरतने पर पूर्व प्रबंधक देवारी लाल यादव, ऑपरेटर प्रियांशु जायसवाल व वर्तमान खरीदी प्रभारी विनोद कुमार यादव को हटाते हुए इनके विरूद्ध एफआईआर करवाने के निर्देश दिए। वहीं प्राधिकृत अधिकारी को भी हटाने कहा था।

इधर, उठाव नहीं होने से केंद्रों में सूख रहा धान

खरीदी के करीब माह होने के बाद भी उठाव नहीं होने से प्रबंधक परेशान हैं। जिला कार्यालय महज एक किमी दूर स्थित अमलीपारा सोसायटी में 71 हजार क्विंटल से अधिक धान का उठाव अब भी बाकी है, जिससे समिति प्रबंधक की मुसीबत बढ़ गई है। समिति से मिली जानकारी अनुसार अमलीपारा सोसायटी में 2494 किसानों से 1 लाख 47 हजार 144 क्विंटल धान खरीदी की गई थी। जिसमें से 75602 क्विंटल की उठाव किया गया है। वर्तमान में 49 प्रतिशत यानी 71542 क्विंटल धान समिति में खुले पड़े हुए हैं।

वर्तमान के उठाव में प्रत्येक गाड़ी में औसतन 5 क्विंटल से अधिक का सूखत आ रहा है जिससे समिति को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। सबसे अधिक समिति में सरना धान खुले में पड़े हैं। समिति में 70863 क्विंटल सरना धान भरे पड़े समिति प्रबंधक और अध्यक्ष इसे जल्द उठाने प्रशासन से मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन सुनने को तैयार नहीं है, जिसके नुकसान समिति को झेलन पड़ेगा। पिछले वर्षों में आई सूखत की समस्या से कर्मचारियों, समिति प्रबंधकों को काफी परेशान होना पड़ा था। यदि एक सप्ताह के भीतर धान का उठाव नहीं किया जाता है, अमलीपारा सोसायटी को काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है।

72 घंटे के भीतर उठाव के आदेश का नहीं हो पालन

गत वर्ष 2020-21 व 22 में धान खरीदी केन्द्रों में देरी से उठाव होने की वजह से शार्टेज की समस्या उत्पन्न हुई थी। प्रायः अधिकांश समितियों को शार्टेज की समस्या से जूझना पड़ा था। जिसकी वजह से शायद समिति कर्मचारियों को वेतन का भुगतान अब तक नहीं हो पाया है। जिन खरीदी केन्द्रों से समय पर धान का उठाव नहीं हो रहा है, वहां के कर्मचारियों के लिए चिन्ता का सबब बना हुआ है। शासन के द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि खरीदी केन्द्रों से धान का उठाव 72 घंटे के भीतर हो जाने चाहिए पर इसका पालन कभी भी देखने को नहीं मिल रहा है। धान खरीदी को बंद हुए 1 माह बीत गए, लेकिन अधिकांश खरीदी केन्द्रों में धान का उठाव नहीं हो सका है। कुछ-कुछ केन्द्रों पर ही धान का उठाव पूरी तरह से हो पाया है।