गुलियन बेरी सिंड्रोम की जांच करने छत्तीसगढ़ पहुंची आईसीएमआर की टीम

Chhattisgarh Crimesबैकुंठपुर जिले में एक ही इलाके से दुर्लभ गुलियन बेरी सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के 6 मरीज आखिर क्यों मिले, इसकी जांच करने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की दो सदस्यीय टीम छत्तीसगढ़ पहुंच गई है।टीम में पुणे व चेन्नई के साइंटिस्ट हैं, जो मरीज व परिजनों के अलावा आसपास के लोगों के साथ डॉक्टरों से बात कर रहे हैं। यह दुर्लभ बीमारी कभी भी ज्यादा लोगों में एक साथ नहीं मिलती। प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग व मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर भी इसे समझ नहीं पा रहे हैं। यही कारण है कि आईसीएमआर की टीम की मदद ली जा रही है।
जीबीएस न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। यह नर्व व मसल्स को डैमेज करता है। इससे हाथ-पैर चलना बंद हो जाता है। यही नहीं सांस नली को डैमेज करने के कारण सांस लेने में भी तकलीफ होती है। यही कारण है कि 6 में 3 मरीजों का इलाज वेंटिलेटर पर किया जा रहा है। लगातार केस मिलने व एक ही इलाके के आसपास मरीज मिलने के बाद महामारी नियंत्रण शाखा हरकत में आ गई।
डिप्टी डायरेक्टर डॉ. खेमराज सोनवानी के नेतृत्व में नेहरू मेडिकल कॉलेज के दो सीनियर डॉक्टरों की कमेटी बनाई गई है। आईसीएमआर टीम के साइंटिस्ट ये पता लगाएंगे कि आखिर इतनी संख्या में जीबीएस के मरीज कैसे मिले? इसकी कोई खास वजह तो नहीं है। डॉक्टरों के अनुसार यह बीमारी वायरस व बैक्टीरिया दोनों से फैलता है।जीबीएस के 6 मरीज मिलने पर इसकी जांच के लिए आईसीएमआर की टीम की मदद ली जा रही है। चेन्नई व पुणे से आए साइंटिस्ट बैकुंठपुर व रायपुर के अस्पताल में भर्ती मरीजों की जांच कर रही है। मामला गंभीर है इसलिए आईसीएमआर को सूचना दी गई। -डॉ. खेमराज सोनवानी, स्टेट नोडल अफसर महामारी नियंत्रण

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