यम के नाम आज जरूर जलाएं एक दीये, टल जाएगा अकाल मृत्यु का योग

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धर्म। देश में दीवाली पर्व को लेकर लोगों में उत्साह नजर आ रहा है। सुबह से देर रात तक खरीदारी का दौर चल रहा है। आज धनतेरस के दिन भी बाजार गुलजार है। आज के दिन मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से घर में सुख संमृद्धि बनी रहती है।

धनतेरस के दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है? जी हां, धनतरेस के दिन शाम को पूजा के बाद घर के बाहर एक बड़ा दीपक जलाकर रखा जाता है, उस दीपक का नाता यम देवता है। इसके पीछे पौराणिक कथा प्रचलित है।

कहा जाता है कि हेम नाम का एक राजा था, उसे वर्षों बाद एक पुत्र की प्राप्ति हुई। राजा ने जब उस बालक की कुंडली बनवाई तब उसे ज्योतिष ने बताया कि इसकी कुंडली में मृत्य योग है। शादी के दसवें दिन इसकी मौत हो जाएगी। यह सुनकर राजा हेम ने अपने पुत्र की शादी ना करने का निश्चय किया. उसने अपने पुत्र को ऐसे स्थान पर भेज दिया जहां कोई स्त्री नही थी। लेकिन उसके भाग्य में कुछ और ही था। राजा के लाख प्रयासों के बाद भी उसके पुत्र को उस स्थान पर घने जंगलों में एक सुंदर स्त्री मिली और दोनों को आपस में प्रेम हो गया। दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया।

वहीं भविष्यवाणी के अनुसार शादी के दसवें दिन यमदूत उसके प्राण लेने आया। यमराज ने दूत से दुख का कारण पूछा तो उसने कहा कि कर्तव्य के आगे कुछ नहीं होगा। इस बात पर यम ने कहा कि अगर कोई भी मनुष्य कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (13वें दिन) शाम के समय अपने घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाएगा तो उसके जीवन से अकाल मृत्यु का योग टल जाएगा। बस उसी दिन से धनतेरस की शाम यम की पूजा होने लगी। क्योंकि हर साल धनतेरस भी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की तेरस यानी 13वें दिन ही आती है।

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