बैसरन घाटी में दिनेश, मैं, बेटा शौर्य और बेटी लक्षिता घूमने पहुंचे थे। हमने घाटी घूमी वहां नाश्ता भी किया। फोटो खिंचाए। दोपहर तकरीबन 2.45 बजे मैं वाशरूम गई। शौर्य खाने-पीने की चीज लेने स्टॉल गया था। दिनेश और लक्षिता किनारे बैठे थे। तभी गोलीबारी शुरू हो गई। एक आतंकी दिनेश के पास आया। उसने कलमा पढ़ने के लिए कहा। दिनेश ने कहा कि मुझे नहीं आता।
आतंकियों ने उनका चश्मा निकाला और सिर के पीछे गोली मार दी। नजदीक में खड़े एक आदमी ने लक्षिता को पकड़ा और उसे लेकर भागने लगा। लेकिन आतंकियों ने उसे भी गोली मार दी। लक्षिता बिछड़ गई। वह एक जगह जाकर छिप गई। तब तक सेना के जवान आ गए। उन्होंने लक्षिता को संभाला और हमें सौंपा।
मैं और शौर्य एक साथ थे। गोली लगने की वजह से दिनेश बेसुध हो गए थे। सेना के जवान उन्हें अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने इलाज के बाद मृत घोषित कर दिया। हमें यकीन नहीं हो रहा है कि दिनेश अब हमारे बीच नहीं है। पूरा परिवार सदमे में है। लक्षिता की आंखों से वह घटना हट ही नहीं रही है।
वह कुछ बोल भी नहीं पा रही है। उसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है। यह सारी बातें दिनेश की पत्नी नेहा मिरानिया ने अपने भतीजे केशव मिरानिया को बताई। केशव ने इस बातचीत के अंश भास्कर से झांसा किए।
रोज चाचा से बात होती थी केशव ने बताया कि जम्मू में उनके रिश्तेदार के घर भागवत कथा चल रही है। उसी में शामिल होने जम्मू गए। घूमने का भी प्लान था। रोजाना चाचा से बातचीत हो रही थी। मंगलवार को दोपहर 3.53 बजे मैंने चाचा को कॉल किया। लंबी रिंग गई, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ। सोचा बिजी होंगे। लेकिन शाम को उनकी मौत की खबर आई।
दिनेश के परिवार से मिले शाह
जम्मू में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिनेश की पत्नी, बेटे और बेटी से मुलाकात की। पत्नी और बेटे से घटना को लेकर बात की। ढांढस बंधाया। केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया है कि दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा। सरकार सख्त कदम उठाएगी। गृहमंत्री ने दिनेश को ढांढस भी दिया।
गोलियां चलीं और 10 मिनट बाद फोर्स हमारी सुरक्षा के लिए पहुंच गई
पलारी के पदुम साहू और मनोज आडिल ने बताया कि धारा 370 हटने के बाद कश्मीर जाने की इच्छा थी। मंगलवार की दोपहर हमने अपनी आंखों से देखा कि कैसे आतंकवादी नाम और धर्म पूछकर लोगों को निशाना बना रहे थे। मौत और हमारे बीच कुछ ही फासला बचा था। जैसे ही गोलियों की आवाजें और चीख-पुकार गूंजी, वैसे ही हमने सूझबूझ से पूरे दल को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।
यह हमारी हिम्मत और प्रभु की कृपा थी कि हम सही समय पर निर्णय ले सके। इसके 10 मिनट बाद ही फोर्स हमारी सुरक्षा के लिए वहां पहुंच गई । पर्यटक दल अभी भी श्रीनगर से छत्तीसगढ़ लौटने की राह में है और निजी वाहन से यात्रा कर रहा है।
उनके सकुशल लौटने की जानकारी से परिवार में खुशी का माहौल है। धारा 370 हटने के बाद कश्मीर जाने की बहुत इच्छा थी। इसलिए दोस्तों के साथ मिलकर हमने वहां जाने का प्लान बनाया। लेकिन हमने वहां पर मौत को बहुत करीब से देखा। शायद अब कभी न जाएं।