बिलासपुर। एक बेरहम पिता ने पोलियोग्रस्त 5 साल की बेटी को मरने के लिए छोड़ दिया। मासूम को पिता ट्रेन से बिलासपुर से अकलतरा लेकर गया, और स्टेशन में छोड़ते हुए कहा कि ट्रेन आए तो पटरी पर सो जाना। पोलियोग्रस्त होने की वजह से मासूम चलने में पूरी तरह असमर्थ थी, प्लेटफार्म पर उसकी बेबसी पर कुछ लोगों की नजर पड़ी तो उसका रेस्क्यू कर उसे सुरक्षित बाल संरक्षण गृह तक पहुंचाया।
पाल नहीं सकते हैं तो बाल सरंक्षण इकाई में छोड़ दें
सरकार ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर जिला बाल संरक्षण इकाई का गठन किया है। जांजगीर-चांपा जिला के बाल सरंक्षण अधिकारी गजेंद्र जायसवाल ने बताया कि ऐसे पालक जो किसी भी कारण से अपने बच्चों का लालन-पालन करने में असमर्थ हैं और वे अपने बच्चों को इस तरह लावारिस अथवा मरने के लिए न छोड़ें बल्कि महिला एवं बाल विकास विभाग या बाल संरक्षण इकाई में छोड़ सकते हैं। समिति उनके रहने से लेकर शिक्षा तक सारी व्यवस्था करती है। उन्हें प्रशिक्षण देकर आर्थिक रूप से सक्षम बनाने का प्रयास करती है।
RPF ने सूचना दी, तो चाइल्ड लाइन टीम पहुंची
नगर के रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ के जवान को पांच साल की दिव्यांग बच्ची मिली तो उसने चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर काॅल कर सूचना दी। हेल्प एंड हेल्पस समिति द्वारा संचालित चाइल्ड लाइन जांजगीर टीम के सदस्यों ने पूछताछ की तो बच्ची ने बताया कि उसके पिता उसे रेलवे स्टेशन में छोड़कर चले गए हैं। पिता उसे बिलासपुर से लाए थे। बच्ची को जिला के बाल कल्याण समिति के सदस्यों के सामने पेश किया किया गया। समिति के आदेश पर उसे टीम के संरक्षण में मातृ छाया जिला कोरबा ले जाया गया।