केंद्र सरकार आज (मंगलवार) को वन नेशन वन इलेक्शन बिल को लोकसभा में पेश करेगी. बीजेपी ने भी अपने सांसदों को तीन लाइन का व्हिप भेजा है, जिसमें पार्टी ने सभी सांसदों को आज (मंगलवार) को सदन में मौजूद रहने का आदेश दिया है. लोकसभा की कार्यसूची के अनुसार, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 को लोकसभा में पेश करेंगे.
मंत्री केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को भी पेश करेंगे, जिसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर, पुडुचेरी और दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के चुनावों को संरेखित करना है. विधेयक पेश होने के बाद मेघवाल इसे संसद की संयुक्त समिति के पास विचार-विमर्श के लिए भेजने का अनुरोध करेंगे.
विभिन्न दलों के सांसदों की संख्या के आधार पर संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण भाजपा को समिति की अध्यक्षता मिलेगी और इसमें उसके कई सदस्य होंगे.
गृह मंत्री अमित शाह, जो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय समिति के सदस्य रहे हैं, विधेयक पेश किए जाने के दौरान निचले सदन में उपस्थित रह सकते हैं, जैसा कि उच्चस्तरीय समिति ने सुझाव दिया है.
लोकसभा में आज के एजेंडा की संशोधित कार्यसूची के सामने आने के बाद, बिल को लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई है. पिछले शुक्रवार को बिल को लोकसभा की जारी बिजनेस लिस्ट में शामिल किया गया था और सभी सांसदों को इसकी एक प्रति भी दी गई थी. हालांकि, बाद में बिल को लोकसभा की रिवाइज्ड बिजनेस लिस्ट से हटा दिया गया था.
बिल पेश होने के तुरंत बाद हो सकता है JPC का गठन
जैसा कि कहा जा रहा है, BJP-Congress समेत समान दलों के सदस्यों के नाम घोषित किए जाएंगे, सरकार को संसदीय समिति को बिल भेजने में कोई आपत्ति नहीं है अगर सदन में इसकी मांग की जाती है. इसके अलावा, बिल को जेपीसी में भेजा जा सकता है, जहां यह विस्तृत चर्चा और सहमति के लिए भेजा जा सकता है.
सूत्रों ने कहा कि विपक्षी दल सिर्फ राजनैतिक कारणों से इसका विरोध कर रहे हैं, लेकिन वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर सभी घटक दल से चर्चा हो चुकी है.
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन?
वास्तव में, देश भर में सभी चुनावों को एक साथ कराने की चर्चा चल रही है, जो केंद्र की मोदी सरकार के पक्ष में है. वन नेशन वन इलेक्शन का अर्थ है कि लोकसभा चुनावों के साथ-साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनावों को भी एक साथ कराया जाएगा, साथ ही स्थानीय निकायों, नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों और ग्राम पंचायतों के चुनावों को भी एक साथ कराया जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी खुद इसके पक्ष में हैं और कई बार इसकी वकालत भी कर चुके हैं.
देश में 1952 से 1967 तक एक साथ हुए थे चुनाव
आजादी मिलने के बाद देश में शुरुआती कई चुनाव वन नेशन वन इलेक्शन के तर्ज पर हुए थे. 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी एक साथ हुए. हालांकि, बीच में कुछ राज्यों में राजनीतिक घटनाक्रम बदले और धीरे-धीरे स्थिति बदल गई. सराकर गिरने के बाद कई राज्यों में मध्यावधि चुनाव भी हुए, जिससे अंतराल आ गया. अब लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव अलग होते हैं.