शिखा दास
महासमुन्द पिथौरा
पिथौरा के SDMकी चौखट पर न्याय हेतु संघर्ष का विश्लेषणात्मक सार:
वृद्ध प्रतिभा मसीह की थक चुकी वृद्ध निगाहें
अब की शिकायत कलेक्टर की चौखट परऔर SDM पर पक्षपात और बदसुलूकी के गंभीर आरोप:
एक वृद्ध महिला प्रतिभा मसीह न्याय की गुहार लगा रही है,
लेकिन SDM ने मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश की और दोनों भूमियों को शासकीय बताकर पल्ला झाड़ लिया।
यह सवाल उठता है कि यदि भूमि शासकीय है, तो उस पर मकान कैसे बन गया? डेढ़ वर्ष से पदस्थ SDM इस अवैध निर्माण पर कार्रवाई क्यों नहीं कर पाए? यह उनकी निष्क्रियता या लापरवाही को दर्शाता है।
भू-राजस्व संहिता के तहत, SDM को शासकीय भूमि पर अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी है। उनकी विफलता उनकी जवाबदेही पर सवाल उठाती है।
SDM ओंकारेश्वर सिंह पर आरोप:वृद्ध महिला ने कलेक्टर के समक्ष शिकायत दर्ज कर SDM ओंकारेश्वर सिंह पर कार्यालय में फटकार लगाने और अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने SDM पर पक्षपात करने का गंभीर आरोप लगाया, जिससे उनमें SDM के प्रति पूर्ण अविश्वास पैदा हो गया है। यह आरोप सीधे तौर पर अधिकारी की कार्यप्रणाली पर असंतोष और संदेह को दर्शाता है।यह व्यवहार न केवल प्रशासनिक नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि जनता के बीच प्रशासन की साख को भी कम करता है। पक्षपात का आरोप विशेष रूप से गंभीर है, क्योंकि यह निष्पक्षता और पारदर्शिता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
लोकसेवक की भूमिका और जनता की मांग:
जनता का कहना है कि “सलाह बांटने का काम तो भृत्य भी कर सकता है” जनता का तर्क है कि यदि SDM और अन्य अधिकारी अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे, तो ऐसे पदों पर शासन का पैसा खर्च करने और साख गंवाने का क्या औचित्य है?
क्या कानून सबके लिए अलग-अलग है?कानून सबके लिए एकसमान है, लेकिन इसका कार्यान्वयन अधिकारियों की इच्छाशक्ति, निष्पक्षता, और कार्यकुशलता पर निर्भर करता है। पिथौरा में वृद्ध महिला के मामले में निष्क्रियताऔर SDM पर पक्षपात के आरोप प्रशासनिक कमियों को उजागर करते हैं। यह स्थिति न केवल पीड़ित महिला के लिए अन्याय है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है।
सुझाव और समाधान:
कलेक्टर महोदय को इस मामले की गहन जांच करानी चाहिए। यदि SDM ने शासकीय भूमि पर अतिक्रमण की अनदेखी की, तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।SDM के व्यवहार और पक्षपात के आरोपों की जांच: SDM ओंकारेश्वर सिंह के खिलाफ लगे फटकार और पक्षपात के आरोपों की निष्पक्ष जांच हो। यदि वे दोषी पाए जाएं, तो उनके व्यवहार को सुधारने के लिए प्रशिक्षण या अन्य उपाय किए जाएं।वृद्ध महिला को न्याय: पीड़ित महिला की शिकायत को प्राथमिकता देकर त्वरित सुनवाई और समाधान सुनिश्चित किया जाए। यदि भूमि पर अवैध निर्माण हुआ है, तो उसे हटाने की कार्रवाई तुरंत शुरू हो।
प्रशासनिक सुधार: तहसीलदार और अन्य राजस्व अधिकारियों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए। पक्षपात के आरोपों को रोकने के लिए पारदर्शी प्रक्रियाएं लागू की जाएं।निष्कर्ष: कानून सबके लिए एकसमान है, लेकिन पिथौरा में वृद्ध महिला का मामला दर्शाता है कि तहसीलदार और SDM जैसे अधिकारियों की निष्क्रियता, अनुचित व्यवहार, और पक्षपात के आरोपों ने न्याय की राह में बाधा डाली है।
हालांकि SDM ओंकारेश्वर सिंह ने बदसलूकी की बातों की खारिज किया है। इधर पीड़ित महिला ने भी सीसीटीवी फुटेज देख सकने हवाला दिया है