रायपुर। हिंदू धर्म में नागपंचमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को वैसे तो पूरे भारत में मनाया जाता है पर पूर्वांचल क्षेत्रों में बड़े पर्व के रूप में मनाते हैं। आज के दिन घर में पकवान, सेवई, खीर औरचना को उबालकर खाया जाता है। वहीं मंदिरों में जाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना के साथ नागों को दूध पीलाने कटोरे में दूध भी रखा जाता है। ये तो हुई बात हमारी पर्व परंपरा की। आज नाग पंचमी का पर्व है। क्या आप जानते हैं कि छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक इलाका ऐसा भी है जिसे नागलोक के नाम से भी जाना जाता है…
जी हां हम बात कर रहे हैं जशपुर क्षेत्र के फरसाबहार पत्थलगांव, बगीचा और कांसाबेल का वह क्षेत्र जहां करैत और नाग जैसे जहरीले सांप पाये जाते हैं। और सांपों की अधिकता के कारण ही इस इलाके को छत्तीसगढ़ का नागलोक भी कहा जाता है। यहां पाये जाने वाले जहरीले सांपों की वजह से हर साल सैकड़ों लोग असमय ही काल के गाल में समा जाते हैं। बताया जाता है कि इस इलाके के फरसाबहार और तपकरा क्षेत्र में काफी अधिक जहरीले सांप पाये जाते हैं। सरकार द्वारा इस क्षेत्र में संर्पदंश की बढ़ती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटी स्नैक वेनम की सुविधा दी गई है, ताकि समय रहते ग्रामीणों की जान बचाई जा सके। इसके बावजूद भी जागरूकता के अभाव में लोग बैगा-गुनिया के चक्कर में आकर जान गंवा बैठते हैं।
जानकारों का कहना है कि सरकर यहां सर्फदंश से होने वाले मौतों पर मुआवजा तो दे देती है पर वहीं सरकार अंधविश्वास को दूर करने और सांपों से बचाव कैसे किया जा सकता है इसके लिए प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।