मुंबई। प्रोजेक्ट 75, यार्ड 11879 की कलावरी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी ‘वजीर’ आज भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया है. प्रोजेक्ट-75 में स्कॉर्पीन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण किया गया है, जिसमें पनडुब्बी ‘वजीर’ भी शामिल है. ये पनडुब्बी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) और फ्रांस की मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस की सहयोग से बनाया जा रहा है. पनडुब्बी ‘वजीर’ ने अपनी पहली समुद्री परीक्षण यात्रा 1 फरवरी, 2022 को अपनी शुरू की थी. ये बड़े गर्व की बात है कि इसने अपने सभी प्रमुख ट्रायल पूर्व की सारी पनडुब्बियों से कम समय में पूरी कर ली है. पनडुब्बी ‘वजीर’ ने प्रोपल्शन प्रणाली, हथियार और सेंसर सहित समुद्र में अपनी सभी प्रणालियों के गहन परीक्षणों को सफलता से पार कर चुकी है.
मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट
चूंकि पनडुब्बी का निर्माण एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है जिसमें सभी उपकरणों को छोटा करना होता है और उच्च गुणवत्ता को भी बरकार रखना पड़ता है. प्रोजेक्ट-75 में इन पनडुब्बियों का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में होना यह सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के अभियान को प्रोत्साहित करता है और इस क्षेत्र में आत्मविश्वास को बढ़ता है. इस प्रोजेक्ट की एक और खासियत यह रही है कि मात्र 24 महीने की अवधि में इसने भारतीय नौसेना को तीसरी पनडुब्बी दी है.
जल्द ही नौसेना में आधिकारिक रूप से शामिल
पनडुब्बी को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा और भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि की जाएगी.
प्रमुख खासियत-
- रडार से बचने का गुण सुनिश्चित करने के लिए पनडुब्बी में आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है
- आधुनिक ध्वनि को सोखने वाली तकनीक, कम आवाज और पानी में तेज गति से चलने में सक्षम आकार
दुश्मनों पर सटीक निर्देशित हथियारों से हमले की भी क्षमता - पानी के भीतर दुश्मन से छिपने की क्षमता इसकी विशेषता है जो पूरी तरह से सुरक्षित है और अन्य पनडुब्बियों के मुकाबले इनका कोई तोड़ नहीं है