डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत में ही नक्सलियों के लिए पैरवी करने वालों तक तंज कसा गया है। वीडियो की शुरुआत में ही लिखा गया है कि ऐसे हमलों के वक्त नक्सलियों के रहनुमा कहां थे। यह वीडियो तब आया है जब शांति समन्वय समिति नक्सलियों की तरफ से शांति वार्ता के लिए आगे आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह ऐसी किसी भी समिति से बात नहीं करेगी। गृहमंत्री ने भी कहा है कि जब बस्तर में निर्दोष ग्रामीणों को नक्सली मार रहे थे तब नक्सलियों के शुभचिंतक कहां थे।
इस डॉक्यूमेंट्री में आधा दर्जन ऐसे परिवारों से बात की गई है जिन्होंने इस हमले में अपनों को खोया है। हमले के 15 साल भी पीडि़त परिवारों के चेहरे पर दर्द दिख रहा है। परिवार के लोग बिलखते हुए अपना दर्द बयां कर रहे हैं। मालूम हो कि 17 मई 2010 में सुकमा जिले के चिंगावरम में एक आईईडी विस्फोट में 32 लोग मारे गए थे। इनमें 16 जवान और 16 आम ग्रामीण थे। जबकि इतने ही लोग घायल हुए थे। यह उस साल का सबसे बड़ा नक्सल हमला था। नक्सलियों ने पहली बार किसी यात्री बस को निशाने पर लेते हुए जवानों को नुकसान पहुंचाया। इसकी जद में निर्दोष ग्रामीण भी आ गए थे।
सरकार ने यह तय कर लिया है कि अब वह इसी तरह से नक्सलियों के चरित्र को देश-दुनिया तक पहुंचाएगी। कहा जा रहा है कि आने वाले वक्त में अलग-अलग हमलों की डॉक्यूमेंट्री इसी तरह से सामने आएगी और बताया जाएगा कि लाल आतंक की वजह से बस्तर को और बस्तर के लोगों को कितना नुकसान पहुंचा है।