डीआरजी यानी डिस्ट्रिक रिजर्व गार्ड बस्तर संभाग के सात जिलों में तैनात हैं। इस दस्ते का गठन नक्सलवाद के खात्मे के उद्देश्य से ही किया गया। इसके जवान नक्सल मोर्चे पर ही तैनात हैं और मौजूदा समय में बस्तर में नक्सलियों के लिए सबसे घातक साबित हो रहे हैं। बस्तर के अंदरूनी इलाकों के स्थानीय युवाओं की भर्ती डीआरजी में की गई है। साथ ही सरेंडर नक्सली भी इसमें शामिल हैं। डीआरजी के जवान जंगल वॉर में माहिर हैं। अन्य फोर्स की तुलना में इन्हें बस्तर ये जल-जंगल-जमीन की अच्छी खासी जानकारी है। यही वजह है कि डीआरजी के जवानों से नक्सली खौफजदा हैं।बसव राजू का शव नहीं ले जा पाए परिजन, तीन दिन बाद आने कहा गया
अबूझमाड़ में देश के सबसे बड़े नक्सली बसव राजू के मारे जाने की जानकारी उसके परिजनों को मिल गई थी। परिजन आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम स्थित गृहग्राम से शव लेने के लिए निकल गए थे। वे जगदलपुर पहुंच गए थे, लेकिन बसव राजू के शव के पोस्टमार्टम सहित डीएनए रखने जैसी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी। ऐसे में परिजनों को उसका शव नहीं मिल पाया। उन्हें 2-3 दिन बाद आने कहा गया। परिजन बिना शव लिए ही आंध्रप्रदेश लौट गए।