नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि देश की जीडीपी के आंकड़ों से सभी को अलर्ट हो जाना चाहिए। राजन ने अपने लिंक्डइन पेज पर एक पोस्ट में लिखा कि जब इनफॉर्मल सेक्टर के आंकड़े जोड़े जाएंगे तो इकॉनमी में 23.9 फीसदी की गिरावट और बदतर हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अमेरिका और इटली से भी ज्यादा नुकसान हुआ है। ये दोनों देश कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रहे।
राजन ने कहा कि जब तक वायरस पर काबू नहीं पाया जाता है तब तक भारत में विवेकाधीन खर्च की स्थिति कमजोर बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक जो राहत दी है, वह नाकाफी है। उन्होंने कहा कि सरकार भविष्य में प्रोत्साहन पैकेज देने के लिए आज संसाधनों को बचाने की रणनीति पर चल रही है जो आत्मघाती है। सरकारी अधिकारी सोच रहे हैं कि वायरस पर काबू पाए जाने के बाद राहत पैकेज देंगे, वे स्थिति की गंभीरता को कमतर आंक रहे हैं। तब तक इकॉनमी को बहुत नुकसान हो जाएगा।
राहत के बिना गुजारा नहीं
उन्होंने कहा कि अगर आप इकॉनमी को एक मरीज की तरह देखें तो उसे लगातार इलाज की जरूरत है। राजन ने कहा, ‘राहत के बिना लोग खाना छोड़ देंगे, वे बच्चों को स्कूल से निकाल देंगे और उन्हें काम करने या भीख मांगने के लिए भेज देंगे, कर्ज लेने के लिए अपना सोना गिरवी रख देंगे, ईएमआई और मकान का किराया बढ़ता जाएगा। इसी तरह राहत के अभाव में छोटी और मझोली कंपनियां अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पाएंगी, उनका कर्ज बढ़ता जाएगा और अंत में वे बंद हो जाएंगी। इस तरह जब तक वायरस पर काबू होगा, तब तक इकॉनमी बर्बाद हो जाएगी।’
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि यह धारणा गलत है कि सरकार रिलीफ और स्टिमुलस, दोनों पर खर्च नहीं कर सकती है। राजन ने कहा कि संसाधनों को बढ़ाने और चतुराई के साथ खर्च करने की जरूरत है। आॅटो जैसे कुछ सेक्टरों में मांग में तेजी वी-शेप्ड रिकवरी का प्रमाण नहीं हैं।