रायपुर। बिलासपुर हाईकोर्ट ने 9 जुलाई को प्राईवेट स्कूलों को सिर्फ ट्युशन फीस लेने की अनुमति दिया है, लेकिन ट्युशन फीस को लेकर जनसामान्य में भ्रांतियां है कि ट्युशन फीस है क्या और जो प्राईवेट स्कूल वाले मांग रहे है क्या यही सिर्फ ट्युशन फीस ही है। जिसको लेकर पैरेंट्स एसोसियेशन ने शिक्षा विभाग के सभी जिम्मेदार अधिकारियों को पत्र लिखकर ट्युशन फीस को परिभाषित करने और अनुमोदित करने का आग्रह किया गया। लेकिन शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर कोई रूचि नहीं दिखाया और हाईकोर्ट के निर्णय के कुछ कंडिकाओं जहां प्राईवेट स्कूलों को राहत दिया गया है, उन्हें अक्षरश: पालने कराने के लिए समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को 31 जुलाई 2020 को पत्र लिखकर निर्देशित किया गया है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने स्कूल शिक्षा विभाग को एक प्रस्ताव भेजा है, जिसमें यह निवेदन किया गया है कि स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा आरटीई के बच्चों के लिए प्राईवेट स्कूलों को जो प्रति छात्र प्रति वर्ष शिक्षण शुल्क दिया जाता है, वहीं शिक्षण शुल्क अन्य बच्चों से भी लिया जाना चाहिए।
शुल्क विवरण
नर्सरी से लेकर कक्षा पांचवीं तक 7000 रुपए प्रति छात्र प्रति वर्ष
कक्षा छटवीं से लेकर आठवीं तक 11400 रुपए प्रति छात्र प्रति वर्ष
कक्षा नवमीं से लेकर बारहवीं तक 15000 रुपए प्रति छात्र प्रति वर्ष
श्री पॉल का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा प्राईवेट स्कूलों के लिए शिक्षण व्यय पूर्व में ही निर्धारित किया जा चुका है तो इसी शुल्क को जस्टिफाईड मानते हुए इतना ही ट्युशन फीस-शिक्षण शुल्क दूसरे छात्रों से भी लेने की अनुमति सभी प्राईवेट स्कूलों की दिया जाना चाहिए।